नागपुर. कामठी नगर परिषद में आम चुनाव को लेकर निर्धारित की गई प्रभाग रचना और आरक्षण को चुनौती देते हुए कुणाल इमले ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर लंबी बहस के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने प्रभाग रचना और आरक्षण में किसी तरह की अनियमितता नहीं होने का हवाला देते हुए याचिका ठुकरा दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एस. जिया काजी, राज्य चुनाव आयोग की ओर से अधि. जैमिनी कासट, सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील निवेदिता मेहता और नगर परिषद की ओर से अधि. महेश धात्रक ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि कामठी नगर परिषद में वर्ष 2022 के आम चुनावों के लिए प्रभाग रचना का अंतिम प्रारूप घोषित किया गया जिसमें विशेष रूप से वार्ड क्रमांक 2 की रचना को लेकर चुनौती दी गई.
प्रभाग रचना में परिवर्तन से बढ़ गए मतदाता
याचिकाकर्ता का मानना था कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार वार्ड क्रमांक 2 में अनुसूचित जाति के 4,734 और जनजाति के 578 मतदाता थे. प्रभाग रचना प्रारूप पर आपत्ति जताई गई थी. किंतु कामठी नगर परिषद के मुख्य अधिकारी ने इसे नजरअंदाज कर दिया. आपत्ति और सुझावों के बाद वार्ड क्रमांक 2 में परिवर्तन कर दिया गया. परिणाम स्वरूप यहां अनुसूचित जाति के 5,410 मतदाता हो गए. 579 मतदाता बढ़ गए. यदि प्रभाग रचना में परिवर्तन नहीं किया जाता तो यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होना था. 17 प्रभागों की सूची में इसे 10वें नंबर पर रखा जाता. अंतिम प्रभाग रचना में इसे 11 नंबर पर कर दिया गया जिससे यह प्रभाग अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं हो सका है. हालांकि नये प्रारूप में 579 मतदाता के बढ़ने की जानकारी तो उजागर की गई लेकिन इसमें अनुसूचित जाति का केवल एक मतदाता बढ़ा है.
पूरी प्रक्रिया का पालन
जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से पैरवी कर रहीं सहायक सरकारी वकील निवेदिता मेहता ने कहा कि 17 में से 10 वार्ड अनुसूचित जाति प्रवर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं. प्रभाग रचना के प्रारूप पर प्राप्त आपत्ति और सुझावों पर संज्ञान लेकर पूरी प्रक्रिया करने के बाद प्रभाग रचना निर्धारित की गई. प्रक्रिया में गट 52 और 53 जो पहले वार्ड क्रमांक 6 में थे, वे वार्ड क्रमांक 2 में स्थानांतरित हुए और वार्ड क्रमांक 1 से गट 73 को वार्ड क्रमांक 6 में स्थानांतरित किया गया. यहां तक कि प्रभाग रचना के प्रारूप में भी वार्ड क्रमांक 2 को 11वें नंबर पर ही दिखाया गया था. अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या के अनुसार अंतिम प्रभाग रचना में भी इसे 11वें क्रमांक पर ही रखा गया है. अत: इसमें किसी तरह का परिवर्तन नहीं हुआ है. सभी पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.