मराठी बने ज्ञान की भाषा: फडणवीस

  • उपमुख्यमंत्री ने किया 'वरदा' स्मरणिका का विमोचन

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वर्धा. हमारी मराठी भाषा को हमें महत्व देने की आवश्यकता है. मराठी को हम ज्ञानभाषा कर नहीं सके. परिणामवश नई पीढ़ी मराठी से दूर जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति लायी है. इस नीति के अंतर्गत मेडिकल, तकनीकी व अन्य प्रकार की शिक्षा हम मराठी भाषा से दे सकेंगे. ज्ञान व व्यवहार में मराठी का समावेश होने के कारण मराठी के जतन की चिंता दूर होगी, ऐसा विश्वास उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने व्यक्त किया.

महात्मा गांधी साहित्य नगरी, स्वावलंबी विद्यालय परिसर में शुरु 96 वें अभा मराठी साहित्य सम्मेलन के अंतिम के कार्यक्रम का शुभारंभ फडणवीस ने किया. मंच पर सांसद रामदास तडस, डा. अनिल बोंडे, विधायक डा. पंकज भोयर,. समीर कुणावार, समीर मेघे, पूर्व विधायक सागर मेघे, विदर्भ साहित्य संघ के अध्यक्ष व सम्मेलन कार्याध्यक्ष प्रदीप दाते, अभा मराठी साहित्य महामंडल की अध्यक्ष ऊषा तांबे, डा. उज्वला मेहेंदले, विलास मानेकर, गजानन नारे आदि उपस्थित थे..

मराठी में साहित्य सम्मेलन की बड़ी परंपरा है. मराठी में अलग -अलग प्रकार के विविध विचारों के साहित्य सम्मेलन होते हैं. साहित्य संमेलन कमजोरी पर ऊंगली रखने के लिये नहीं है. वह समृद्ध बनाने के लिये होते हैं. साहित्य मंच पर राजनेता क्यों ऐसा निरंतर कहां जाता है. मात्र, टीवी लगाने के बाद जो साहित्य राजनेताओं के जुबान से निकलता वह देखकर कोई नहीं बोल सकता कि हम साहित्यिक नहीं है. हममें भी साहित्यिक है. हमें साहित्यिकारों से प्रेरणा मिलती है. जिससे हम साहित्य के मंच पर आने के बाद पूरा मंच अपने कंट्रोल में लेते हैं, ऐसा भी फडणवीस ने कहा.

साहित्य-विचार अभिव्यक्त करने के लिये आज अनेक मंच निर्माण हुए हैं, किंतु नवमाध्यमों में वह ऊंचाई व गहराई नहीं है. जो किताबों में है. किताबों का ज्ञान सटीक होता है. इस अवसर पर विदर्भ साहित्य संघ के शताब्दी महोत्सव पर स्मरणिका ‘वरदा’ का  विमोचन देवेंद्र फडणवीस के हाथों किया गया. प्रस्ताविक प्रदीप दाते ने तथा संचालन रेणुका देशकर ने किया.

विदर्भ साहित्य संघ को दिये 10 करोड़

विदर्भ साहित्य संघ मराठी साहित्य तथा साहित्यिकारों के संवर्धन हेतु स्वतंत्रता के पूर्व से ही कार्य कर रहा है. विदर्भ साहित्यकारों की भूमि है. साहित्य का संवर्धन होना जरूरी है. जिसके लिये सरकार की ओर से विदर्भ साहित्य संघ को 10 करोड़ की निधि दी जाएगी, ऐसी घोषणा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की.

महात्मा गांधी कार्य पर सबसे अधिक किताबें

वर्धा की भूमि महात्मा गांधी व विनोबा भावे के विचारों की भूमि है. गांधी पर जितनी किताबें लिखी गई हैं. उतनी किताबें विश्व के किसी भी नेता पर नहीं लिखी गई होंगी. गांधीजीं ने इसी भूमि से स्वराज्य का संकल्प किया था. देश को दिशा देने वाली यह भूमि है. इस भूमि पर साहित्य संमेलन का आयोजन होना यह एक बड़ी बात है, ऐसा भी फडणवीस ने कहा.