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अकोला. प्रादेशिक जलापूर्ति योजना के अंतर्गत की जा रही जल कर वसूली की ओर ग्राम पंचायतों द्वारा अनदेखी हो रही है, यह वसूली 40 प्रतिशत से भी कम होने से उन ग्राम पंचायतों पर प्रशासकीय कार्रवाई किए जाने के संकेत मिले हैं. इस दौरान कुल 44.22 करोड़ रू. का जलकर बकाया होने की जानकारी जि.प. सूत्रों ने दी है. ग्रामीण प्रादेशिक जल कर बकाया होने के कारण क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजनाओं के माध्यम से पानी की आपूर्ति में रुकावट के कई मामले सामने आए हैं.

जलकर वसूली और अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए जनशक्ति की कमी के साथ-साथ ग्रामीणों को समय पर पर्याप्त पानी नहीं मिलने की शिकायतें जिला परिषद की बैठकों में बार बार उठाकर आलोचना की गयी है. जिला परिषद का पंचायत विभाग, जो वित्तीय वर्ष के अंत में जागता है, जब पानी के बिल की वसूली का बकाया करोड़ों रुपये तक पहुंच जाता है, पानी के बिल की वसूली की योजना तैयार करता है और उस पर काम शुरू करता है, लेकिन यह महसूस किया जा रहा है कि पूरी वसूली नहीं हो रही है.

अरबों रुपये क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजनाओं के रखरखाव पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन रिसाव अभी भी नहीं रुकता है और अंतिम गांव तक पानी नहीं पहुंचता है, सर्वेक्षण में पाया गया. रखरखाव-मरम्मत का यह मुद्दा कई बार बैठकों में भी उठाया गया था, पूछताछ की गई थी, लेकिन इसमें से कुछ भी नहीं निकला, तथ्य यह है कि रिसाव के मामले अभी भी बंद नहीं हुए हैं.

हालांकि जिला परिषद ने पहले क्षेत्रीय जल बिल की कम वसूली के कारण ग्राम सेवकों के लिए वार्षिक वेतन वृद्धि को अस्थायी रूप से निलंबित करने का निर्देश दिया था, लेकिन संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जल प्रबंधन समिति की बैठक में, पंचायत विभाग के तत्कालीन उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्रीराम कुलकर्णी को वसूली की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वे इसमें भी सफल नहीं हुए.

वर्ष 2020-21 के तहत, क्षेत्रीय जलापूर्ति का पिछला बकाया 35.35 करोड़ रुपये है और वर्तमान जलापूर्ति की मांग 8.87 करोड़ रुपये है. कुल वसूली 44 करोड़ 22 लाख तक पहुंच गई है. जुलाई 2020 तक, केवल 1.86 लाख रुपये की वसूली की गई है. इसलिए, वर्ष 2020-21 के तहत वर्तमान जल बिल की मांग 8.87 करोड़ है और संकेत हैं कि ग्राम पंचायतों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी, जो इस मांग का 40 प्रतिशत नहीं वसूलते हैं.