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नयी दिल्ली: भारतीय वाहन कलपुर्जा उद्योग को निर्यात बढ़ाने तथा पांच साल में वैश्विक व्यापार में कम से कम पांच प्रतिशत हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। भारतीय वाहन कलपुर्जा विनिर्माता संघ (एसीएमए) ने यह राय जताई है। एसीएमए के महानिदेशक विनी मेहता ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इस तरह के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अनुकूल नीतियों के जरिये सरकार का समर्थन काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार का समर्थन मिलता है तो इससे न केवल कारोबार की वृद्धि में मदद मिलेगी, बल्कि उद्योग को आत्मनिर्भर भी बनाया जा सकेगा।

मेहता ने बताया कि अभी वाहन कलपुर्जा उद्योग अपने उत्पादन का 25 प्रतिशत यानी 15.1 अरब डॉलर का निर्यात करता है। इसमें 65 प्रतिशत निर्यात अमेरिकी और यूरोप़ीय संघ को किया जाता है। उन्होंने कहा कि वाहन कलपुर्जों का वैश्विक व्यापार 1,300 अरब डॉलर है। इसमें भारतीय उद्योग का हिस्सा सिर्फ 1.3 प्रतिशत है। हमें अगले पांच साल में वैश्विक व्यापार में कम से कम पांच प्रतिशत हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य करना चाहिए। हालांकि, इसके लिए सरकार का समर्थन काफी महत्वपूर्ण है।

मेहता ने कहा कि जहां उद्योग को बेहतर प्रौद्योगिकी वाले मूल्य प्रतिस्पर्धी उत्पाद पेश करने होंगे वहीं सरकार को सच्ची भावना से कारोबार सुगमता की स्थिति को बेहतर करते हुए पूंजी लॉजिस्टिक्स और ऊर्जा की अड़चनों को दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि 9 से 11 प्रतिशत की दर के साथ भारत में लॉजिस्टिक्स पर पूंजी की दर सबसे ऊंची है। इससे हमें कम से कम 10-12 प्रतिशत का नुकसान होता है। हमारी ऊर्जा की लागत भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होनी चाहिए। मेहता ने कहा कि आत्मनिर्भर होने के लिए उद्योग और सरकार को एक-दूसरे के लिए प्रतिबद्ध होना होगा।(एजेंसी)