JM Financial CBO Seemant Shukla

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वर्तमान में, जेएम फाइनेंशियल निवेश के लिए 14 योजनाओं की एक विविध श्रृंखला प्रदान करता है, जिसमें डेट और इक्विटी शामिल हैं। डेट श्रेणी में छह योजनाएं हैं, जिनमें कुछ अल्प समय के निवेश के लिए बनाई गई है जैसे : ओवरनाइट फंड या लिक्विड फंड या फिर शॉर्ट ड्यूरेशन फंड। मिड या लॉन्ग अवधि निवेश के लिए लो ड्यूरेशन, डायनेमिक बॉन्ड फंड व मिड टू लॉन्ग टर्म ड्यूरेशन फंड भी उपलब्ध हैं। लंबे समय के लिए निवेश करने के इच्छुक डेट निवेशकों के लिए मिड टू लॉन्ग ड्यूरेशन व डायनेमिक बॉन्ड फंड उपयुक्त हैं। यह निवेशक ब्याज दरों पर अपना एक दृष्टिकोण और उसकी गतिशीलता में रुचि रखते हैं।

इक्विटी और हाइब्रिड श्रेणी के अंतर्गत 8 योजनाएं मार्केट को उपलब्ध हैं। अगर आयकर की धारा 80C के अंतर्गत टैक्स सेविंग लक्ष्य है, तो इसके लिए जेएम टैक्स गेन फंड है। सभी जेएम फंड ”नाम अनुरूप” लेबल दृष्टिकोण की सार्थकता रखते हुए सतत प्रयास करते हैं कि कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ एक बढ़िया क्लाइंट सर्विस एक्सपीरियंस भी प्रदान करें। कंपनी की फंड मैनेजमेंट और रिसर्च टीम ने प्रोसेस ड्रिवन फिल्टरेशन मॉडल GeeQ बनाया है, जो कि रिसर्च और फंड मैनेजमेंट टीम के लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो रहा है। पेश है जेएम फाइनेंशियल म्यूचुअल फंड के मुख्य व्यवसाय अधिकारी (सीबीओ) सीमांत शुक्ला से विशेष बातचीत : 

जेएम फाइनेंशियल अन्य नई फाइनेंसियल सर्विस कंपनियों से कैसे अलग है?

जेएम फाइनेंशियल म्यूचुअल फंड जेएम फाइनेंशियल ग्रुप का एक अभिन्न हिस्सा है। यह व्यक्तिगत रिटेल और संस्थागत दोनों निवेशकों को सेवा प्रदान करता है। इस साल जे एम फाइनेंशियल ग्रुप अपनी 50वी वर्षगांठ माना रहा है। पिछले 50 वर्षों में  यह ग्रुप हमेशा अपने ग्राहकों के विश्वास पर खरा उतरा है और निरंतर इस विश्वास की इस विरासत को आगे बढ़ा रहा है। जेएम फाइनेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) म्यूचुअल फंड डिस्ट्रब्यूटर व एडवाइजर के सहयोग के लिए प्रतिबद्धता से काम कर रही है। हम निवेशकों की ज़रूरतों के हिसाब से डिस्ट्रब्यूरो के सहयोग से मार्केट में प्रोडक्ट्स लॉन्च करते हैं। साथ ही, निवेशकों को उनके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और वैल्थ बढ़ाने में सहयोग  प्रदान करते हैं। हमारा उद्देश्य हमेशा ही एक अच्छा क्लाइंट एक्सपीरियंस देना होता है, जो हमारी कंपनी को दूसरे से अलग बनाता है।

क्या आपकी रणनीतिक में कोई बदलाव आया है? 

जेएम फाइनेंशियल एसेट मैनेजमेंट की शुरुआत 1994–95 में हुई थी। उस समय भारतीय म्यूचुअल फंड क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोला गया था।जेएम फंड उन फंड्स की श्रेणी में आता है, जिन्होंने भारतीय बाजार में नए किस्म के फंड लॉन्च किए जैसे की इनकम फंड। अमिताभ मोहंती के नेतृत्व में जेएम एफ एएमसी ने  नए संस्करण के साथ एक नई यात्रा की शुरूआत की है। यह उत्साहित करने वाली बात है कि इस दौरान एएमसी को नए और प्रतिभाशाली लोगों ने फंड मैनेजमेंट, सेल्स, प्रोडक्ट आदि विभागों में ज्वाइन किया है। कंपनी ने एमएफडी और एडवाइजर कम्युनिटी के साथ साझेदारी की अच्छी  शुरुआत की है। हमारी कोशिश है कि एमएफडी और निवेशकों को हमसे जुड़कर एक अच्छा, कंसिस्टेंट अनुभव प्राप्त हो। हम एमएफडी एवं एडवाइजर कम्युनिटी के कौशल और ज्ञान को बेहतर करने में उनकी मदद करेंगे और स्वयं को एक नॉलेज पार्टनर के रूप में स्थापित करना चाहेंगे।

म्यूचुअल फंड परिदृश्य के भविष्य को आकार देने वाली चुनौतियां कौन सी हैं?

पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग ने उल्लेखनीय वृद्धि की है। देश में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के साथ आने वाले दिनों में हम और भी बेहतर रुझान की उम्मीद करते हैं। 90 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में देश में प्रति व्यक्ति आय लगभग $400-500 थी। इस समय म्यूचुअल फंड एसेट अंडर मैनेजमेंट लगभग रुपये 80,000 करोड़ से रुपये 1 लाख करोड़ के करीब था। आज प्रति व्यक्ति आय $2200 –2300  के आसपास पहुंची है और म्यूचुअल फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट रुपये 46 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है। भारत आज एक ऐसे पायदान पर खड़ा है जहां से म्यूचुअल फंड क्षेत्र की अकल्पनीय वृद्धि देखी जा सकती है । उसका कारण है कि देश में म्यूचुअल फंड का पेनेट्रेशन काफी कम है या सीधे शब्दो में कहा जाए तो देश की जनसंख्या की दृष्टि से यह काफी कम है।

अगर हम दूसरे मापदंड या जीडीपी के प्रतिशत के संदर्भ में देखें तो भी हमारा देश विकसित देशों और कुछ इमर्जिंग देशों जैसे कि ब्राजील आदि से पीछे है। भारत आज डिजिटल भुगतान और अन्य ई-सेवाओं में एक अग्रणी देश है और मुझे लगता है कि डिजिटल इकोसिस्टम और देश भर में मौजूद डिस्ट्रीब्यूटर इस वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ साबित होंगे। सेबी और एमफी द्वारा चलाए जा रहे म्यूचुअल फंड के लिए जागरूकता अभियान के परिणाम अब नज़र आने लगे हैं। बी 30 शहरों का म्यूचुअल फंड फोलियो ग्रोथ इसका एक अच्छा उदाहरण है।

उपरोक्त सभी कारणों को देखकर हम आसानी से कह सकते हैं कि भारत में म्यूचुअल फंड की ग्रोथ काफी अच्छी होनी चाहिए। आने वाले दिनों में,  निवेशको की संख्या और इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा। सभी कंपनियों को डिजिटल तत्परता को प्राथमिकता देनी होगी, जिससे निवेशकों और डिस्ट्रीब्यूटरों दोनों के लिए सुलभ सेवा कहीं भी और कभी भी उपलब्ध हो सके। 

अगस्त में इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रवाह में रुपये 20,245 करोड़ की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जबकि जुलाई में यह रुपये 7,626 करोड़ था। आप इस उछाल के लिए किन कारकों को जिम्मेदार मानते हैं ? 

पिछले एक दशक में निवेशकों की सोच में काफी बदलाव आया है। पूंजी बाजार के प्रति सजगता के कारण म्यूचुअल फंड में फोलियो, डीमैट खातों में वृद्धि देखी गई है, साथ ही, विभिन्न एसेट मैनेजमेंट प्लेटफार्मों जैसेकी पीएमएस, एआईएफ की भी वृद्धि हुई है। जेन एक्स और मिलेनियल्स सहित नई पीढ़ी का अपने वित्तीय भविष्य को लेकर सजग होना, डिजिटल प्लेटफार्म की सुगम उपलब्धता, इंडस्ट्री द्वारा संचालित जागरूकता अभियान और सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस के लोकप्रिय होने के कारण निवेशकों के एक नए समूह ने जन्म लिया है। डिजिटल पहुंच की वजह से महानगरों और छोटे शहरों के बीच का अंतर कम हो गया है।

देशभर में नियामक, एमफी और एमएफडी के अथक प्रयासों ने म्यूचुअल फंड की जागरूकता और समझ बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे गैर-मेट्रो बाजारों में एमएफ के प्रवाह और फोलियो को बढ़ावा मिला है। यह सकारात्मक बदलाव 30 (बी 30) शहरों में देखना को मिल रहा है, इन शहरों में रिटेल / व्यक्तिगत निवेशकों के फोलियो की संख्या काफी तेजी बढ़ी है और अब लगभग 40-45% फोलिओ का योगदान इन बी-30 शहरों से आता है। रिटेल और सिप निवेश के प्रवाह के कारण, इक्विटी बाजार में म्यूचुअल फंड आज घरेलू संस्थागत निवेशक के एक अहम खिलाड़ी के तौर पर उभरे हैं, यह बहुत ही आशाजनक है। मासिक सिप करीबन रुपये13,000 -15,000 करोड़ के आसपास पहुंच गई है और उम्मीद है कि यह भारतीय निवेशकों के द्वारा एक दीर्घकालीन ट्रेंड की शुरुआत है।

जेएम फाइनेंशियल म्यूचुअल फंड डेट बाज़ारों को कैसे नेविगेट करता है और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज निवेश में किन कारकों पर ध्यान दिया जाता है?

जेएम फाइनेंशियल म्यूचुअल फंड के सभी फंड्स को हम ”नाम अनुरूप” सिद्धांत के आधार पर मैनेज करते हैं, हर फंड अपनी निर्धारित निवेश सीमा, क्रेडिट प्रोफाइल के हिसाब से मैनेज किया जाता है। हमारे पास अल्पकालीन ओवरनाइट फंड से लेकर डायनेमिक बॉन्ड व मिड टू लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स उपलब्ध है ,जो रिटेल और संस्थागत निवेशकों की जरूरतों को पूरा करता है। निवेशक के पोर्टफोलियो के एसेट एलोकेशन में डेट एक अहम भूमिका निभाता है। डेट निवेश अपेक्षाकृत स्थिर रिटर्न या कम वोलेटिलिटी वाले रिटर्न की मांग करने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त है।वहीं वैश्विक कारकों की अस्थिरता, इक्विटी मूल्यांकन या बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण कुछ निवेशक इस कैटेगरी को उपयोग करते हैं।

इसके अलावा, जो निवेशक बढ़ी हुई ब्याज दरों को मध्य या लंबे समय के लिए लॉक करना चाहते हों उनके लिए डेट कैटगरी अत्यंत उपयुक्त होती है। साथ ही, यह भविष्य में ब्याज दरों में गिरावट के कारण कैपिटल गेन (पूंजीगत लाभ) की संभावना को भी बढ़ाता है। डेट निवेश के संबंध में निर्णय लेते समय, कई कारकों पर विचार करना चाहिए। इनमें फंड की निवेश की हुई बॉन्ड, एनसीडी और अन्य प्रतिभूति की लिक्विडिटी,क्रेडिट रेटिंग, निवेश के समय प्रचलित ब्याज दर चक्र और अंतर्निहित पोर्टफोलियो शामिल हैं। ये कारक डेट निवेश के लिए एक अच्छी रणनीति तैयार करने में सहायक होते हैं। निवेशकों को निवेश से पहले म्यूचुअल फंड योजना से संबंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ना चाहिए।