Jaiprakash Toshniwal

  • विदेशी निवेशकों का डर हुआ दूर, इक्विटी फंडों में महंगाई दर से ज्यादा रिटर्न

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मुंबई: क्रूड ऑयल (Crude Oil) की बढ़ती कीमतों के कारण शेयर बाजार (Stock Market) में भारी उतार-चढ़ाव का क्रम जारी है। अमेरिका में ब्याज दरें (Interest Rates) बढ़ने से विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors) भारत सहित अन्य बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं, लेकिन घरेलू निवेशकों के बढ़ते निवेश से भारतीय बाजार को समर्थन मिल रहा है। इस घट-बढ़ के माहौल में आम निवेशकों की चिंता बढ़ रही है और उनके मन में यही सवाल उठ रहा है कि इस साल बाजार में तेजी रहेगी या मंदी।

इन्हीं मुद्दों पर एलआईसी म्यूचुअल फंड (LIC Mutual Fund) के कोष प्रबंधक जयप्रकाश तोशनीवाल (Jaiprakash Toshniwal) की वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज से विस्तृत चर्चा हुई। जयप्रकाश तोशनीवाल देश के एक सफल फंड मैनेजर माने जाते हैं और 18,000 करोड़ रुपए के प्रबंधन कोष वाले एलआईसी म्यूचुअल फंड के निवेशकों (Investors) को बेहतर प्रतिफल प्रदान करने में अपना योगदान दे रहे हैं।  

बढ़ती महंगाई के कारण वर्तमान में शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव आ रहा है। यह स्थिति कब तक रह सकती है?

जहां तक बढ़ती महंगाई की बात है। यह केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया है। अन्य देशों के मुकाबले भारत में तो स्थिति फिर भी काफी बेहतर है। भारत में महंगाई दर (Inflation Rate) 6 से 7% के बीच ही है, जबकि अमेरिका में तो 8.5% तक पहुंच गयी है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि ऊंची तेल कीमतों के कारण पहली दो तिमाही महंगाई से जूझना पड़ेगा, लेकिन बाद में घटने की उम्मीद है। वैसे भी ग्रोइंग इकोनॉमी में थोड़ी महंगाई तो बढ़ती ही है। इससे शहरों और गांवों में छोटे-बड़े सभी विक्रेताओं की आय भी बढ़ती है। हालांकि वैश्विक कारणों से महंगाई ज्यादा है। लिहाजा इस साल इक्विटी मार्केट में उतार-चढ़ाव का माहौल तो रहेगा।

ऐसी स्थिति में निफ्टी-सेंसेक्स के कहां तक गिरने की आशंका रहेगी?

ज्यादा गिरने की आशंका तो नहीं है, क्योंकि एक तो अच्छी जीडीपी ग्रोथ के चलते कार्पोरेट इंडिया की अर्निंग लगातार बढ़ रही है। देश का निर्यात व्यापार बढ़ रहा है। दूसरे, लगातार चौथे साल मानसून अच्छा रहने का पूर्वानुमान है। इसलिए मानसून तक निफ्टी-सेंसेक्स (Nifty & Sensex) एक सीमित दायरे में रहने के आसार हैं। यदि वैश्विक स्तर पर कुछ हालात बिगड़ते हैं तो मार्च 2022 के निचले स्तर के करीब फिर आने की आशंका रहेगी।

तो मौजूदा अस्थिरता के माहौल में आम निवेशक के लिए आपकी क्या सलाह है?

चूंकि इंडिया ग्रोथ स्टोरी (India Growth Story) आगे बढ़ रही है। यदि 7 से 8% की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) आती है तो निश्चित ही इक्विटी मार्केट में भी ‘बुल रन’ (Bull Run) कायम रहने की संभावना रहेगी। इसलिए अस्थिरता के माहौल में आम निवेशकों के लिए यही सलाह है कि उन्हें लॉन्ग टर्म व्यू (Long Term View) रखते हुए नियमित रूप से एसआईपी (SIP) के माध्यम से अपनी बचत को इक्विटी फंडों में निवेश करते रहना चाहिए, ताकि उतार-चढ़ाव का फायदा भी मिल सके। इक्विटी म्यूचुअल फंडों (Equity Mutual Funds) ने हमेशा इन्फलेशन रेट यानी महंगाई दर से ज्यादा रिटर्न दिया है। इसलिए एक आम निवेशक के लिए म्यूचुअल फंड सबसे सही निवेश माध्यम है।

कार्पोरेट इंडिया की की चौथी तिमाही के नतीजों से क्या अपेक्षा है और कौनसे सेक्टर अच्छे लग रहे हैं?

ऊंची तेल कीमतों का इम्पैक्ट मार्च तिमाही में ज्यादा नहीं हुआ है। अब इसका इम्पैक्ट जून तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स पर ज्यादा हो सकता है। इसलिए मार्च तिमाही में निफ्टी कंपनियों की अर्निंग (Profit) में 23 से 24% वृद्धि की अपेक्षा है। जहां तक सेक्टर की बात है, कंज्यूमर, आईटी, बैंकिंग और मेटल सेक्टर की कंपनियों की कमाई ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।

भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि विदेशी फंड लगातार भारी बिकवाली कर रहे हैं, फिर भी बाजार मजबूती दिखा रहा है। इसके क्या मायने हैं?

अपने देश के लिए यह बहुत ही अच्छा डेवलपमेंट है और यह भारतीय निवेशकों की भागीदारी बढ़ने और पूंजी बाजार के काफी मजबूत होने का स्पष्ट प्रमाण है। वित्त वर्ष 2021-22 में विदेशी निवेशकों ने रिकॉर्ड 18.60 बिलियन डॉलर की शुद्ध बिकवाली की, फिर भी मार्केट में ‘बुल रन’ कायम रहा। पहले जब भी विदेशी निवेशक भारी बिकवाली करते थे, तो मार्केट में पैनिक आ जाता था। डॉलर (US Dollar) के सामने रुपया (Rupee) भी तेजी से गिरता था। जिसके कारण विदेशी निवेशकों के मन में एक डर बना रहता था, परंतु अब वह डर निकल गया है। ना मार्केट ज्यादा गिरा और ना रुपया गिरा। रुपया-डॉलर पिछले 6 महीनों से 75 से 76 की रेंज में स्थिर है। मुझे विश्वास है कि अब विदेशी निवेशक आगे जब भी एशियाई बाजारों में वापस निवेश करेंगे तो भारत उनकी पहली पसंद होगा और वे ज्यादा भरोसे के साथ अधिक निवेश करेंगे। 

पिछले साल कई महंगे आईपीओ आए, जिनमें आम निवेशकों के साथ संस्थागत निवेशकों को भी भारी घाटा हुआ। इसका एलआईसी म्यूचुअल फंड पर क्या असर पड़ा?

एलआईसी म्यूचुअल फंड हमेशा अपने निवेशकों की पूंजी की सुरक्षा को पहली प्राथमिकता देता है और कभी भी हाई वैल्यूएशन (High Valuation) वाले यानी महंगे शेयरों में निवेश नहीं करता है। यह हमारी पॉलिसी है। इसलिए हमें कोई फर्क नहीं पड़ा।