
- 13.33 करोड़ हुए निवेशक खाते
मुंबई: हर निवेशक (Investor) चाहता है कि जहां वह निवेश (Invest) करें, वहां उसे अच्छी कमाई हो और अच्छी वेल्थ (Wealth) बने, लेकिन यह आसान नहीं है। इसके लिए विशेषज्ञता की जरूरत होती है और वेल्थ वहीं बन सकती है, जहां महंगाई दर (Inflation Rate) के दोगुने से ज्यादा यानी 10-12% से अधिक रिटर्न (Return) प्राप्त हो। वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी टेलविंड फाइनेंशियल सर्विसेज (Tailwind Financial Services) के संयुक्त प्रबंध निदेशक विवेक गोयल (Vivek Goel) का मानना है कि केवल इक्विटी म्यूचुअल फंडों (Equity Mutual Funds) में ही लॉन्ग टर्म में महंगाई दर से ज्यादा रिटर्न प्रदान करने और वेल्थ बनाने की क्षमता है। इसी कारण म्यूचुअल फंड एक श्रेष्ठ निवेश माध्यम (Best Asset Class) के रूप में लोकप्रिय हो रहा है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट और आईआईएम लखनऊ से एमबीए विवेक गोयल की कंपनी टेलविंड म्यूचुअल फंड, पीएमएस, एआईएफ, बॉन्ड, कार्पोरेट एफडी, स्टार्टअप इन्वेस्टमेंट, एसेट लीजिंग सहित विभिन्न निवेश माध्यमों में वेल्थ मैनेजमेंट सेवाएं (Wealth Management Services) प्रदान करती है। रिटेल निवेशकों के लिए निवेश मंत्र और शेयर बाजार के भावी परिदृश्य के संबंध में विवेक गोयल की वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज से विस्तृत चर्चा हुई। पेश हैं उसके मुख्य अंश:-
रिटेल निवेशक को वेल्थ बनाने के लिए कैसी रणनीति अपनानी चाहिए?
- वेल्थ क्रिएशन के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इन्वेस्टर को अनुशासित और धैर्यशील रहना बहुत जरूरी है। भविष्य की अपनी वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रख हमेशा योजनाबद्ध तरीके से सही एसेट क्लास में लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए। निवेश को नियमित रूप से ट्रैक करने के साथ समय-समय पर उसकी समीक्षा भी जरूरी है। फिर मंदी में कभी पैनिक यानी घबराहट में बेचना नहीं चाहिए, क्योंकि हर बाजार में तेजी-मंदी आती है। नियमित निवेश यानी एसआईपी (SIP) जारी रहनी चाहिए। तभी बाजार की तेजी-मंदी का फायदा मिलता है और लॉन्ग टर्म (Long Term) में रिटर्न अधिक मिलता है और वेल्थ बनती है।
रिटेल निवेशक के लिए म्यूचुअल फंड या पीएमएस, कौनसा अच्छा है?
- वैसे तो दोनों अपनी जगह सही है, लेकिन पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) में न्यूनतम निवेश सीमा 50 लाख रुपए होने से जोखिम अधिक होता है तो साथ ही रिटर्न भी अधिक मिलने की संभावना होती है, जबकि म्यूचुअल फंड में आप 500-1000 रुपए के छोटे निवेश से भी शुरूआत कर सकते हो। इसमें जोखिम कम होता है और विगत वर्षों में म्यूचुअल फंड एक श्रेष्ठ निवेश माध्यम बनकर उभरा है। जिसमें लाखों अनुशासित और धैर्यशील निवेशकों ने बढ़िया रिटर्न के साथ अच्छी-खासी वेल्थ बनाई है। इसी वजह से हर माह म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या बढ़ रही है और देश में 13.33 करोड़ निवेशक खाते (Investor Folios) हो चुके हैं। जिसमें से 5.48 करोड़ तो एसआईपी खाते हो गए हैं।
म्यूचुअल फंडों की हजारों स्कीमें हैं, ऐसे में एक निवेशक इनमें से श्रेष्ठ का चयन कैसे करें?
- यह सही है कि म्यूचुअल फंड स्कीमों की संख्या 1,000 से अधिक हो गयी हैं। उसमें भी इक्विटी, डेब्ट, बैलेंस्ड, हाइब्रिड, ईटीएफ, इंडेक्स फंड सहित अनेक कैटेगरी हैं। सबसे पहले तो निवेशक को अपनी जोखिम क्षमता और रिटर्न अपेक्षा के अनुसार कैटेगरी का चयन करना चाहिए। फिर फंड हाउस और फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड, स्कीम की परफॉर्मेंस, साइज, पोर्टफोलियो क्वालिटी, बेंचमार्क से तुलना इत्यादि कई पहलुओं से सोच-विचार करना चाहिए। अलग-अलग समय पर अलग-अलग कैटेगरी निवेश योग्य होती है। वर्तमान अस्थिर हालात में बैलेंस्ड और हाइब्रिड फंड अच्छे कहे जाएंगे।
पिछले दो साल बंपर रिटर्न के बाद इक्विटी मार्केट में भारी घट-बढ़ हो रही है। आगे मार्केट का आउटलुक कैसा लग रहा है?
- देखिए, इस समय सबसे बड़ी चिंता क्रूड ऑयल और खाद्यान्नों की बढ़ती महंगाई है। इसी कारण भारत तथा अन्य देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें (Interest Rates) बढ़ाकर लिक्विडिटी (Liquidity) कम कर रहे हैं। क्रूड ऑयल महंगा होने की वजह रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) है। इसलिए जब तक युद्ध खत्म नहीं होता और ऑयल कीमतें 100 डॉलर के नीचे नहीं आती है, मार्केट (Stock Market) में अस्थिरता रहेगी और तेजी आना मुश्किल है। हालांकि मार्केट में 8-10% से ज्यादा गिरावट की आशंका भी नहीं है, क्योंकि 600 अरब डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा भंडार के साथ इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) सबसे अच्छी पोजीशन में है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए सरकार की पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) और अन्य आर्थिक सुधारों (Reforms) से तेज ग्रोथ (Growth) हो रही है। कार्पोरेट इंडिया (Corporate india) और बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) मजबूत स्थिति में है।
यह सभी जानते हैं कि मौजूदा महंगाई युद्ध के कारण आपूर्ति घटने से आ रही है तो क्या ब्याज दरों में वृद्धि से महंगाई घट जाएगी?
- यह सही है कि मौजूदा महंगाई मुद्रा प्रसार (Excess Liquidity) से ज्यादा सप्लाई घटने (Short Supply) के कारण है, इसलिए ब्याज दरों में वृद्धि का ज्यादा प्रभाव तो नहीं पड़ेगा, फिर भी कर्ज महंगा होने से कुछ असर तो होगा। एक बात यह भी है कि यदि जल्द युद्ध खत्म हो जाता है और ऑयल कीमतें घट जाती हैं तो ब्याज दरों में वृद्धि भी रूक जाएगी, क्योंकि सरकार भी ग्रोथ चाहती है।