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    मुंबई : रियल एस्टेट (Real Estate) एक सुरक्षित निवेश (Safe Investment) माध्यम माना जाता है और लॉन्ग टर्म में हमेशा अच्छी वेल्थ (Wealth) क्रिएट करता है। हालांकि कुछ वर्षों से इसमें खास रिटर्न (Return) नहीं मिला है, लेकिन अर्थव्यवस्था (Economy) में तेजी आने के साथ अब रियल एस्टेट सेक्टर की विकास गति भी तेज होने लगी है और प्रॉपर्टी कीमतों में तेजी का क्रम शुरू हो गया है। वरिष्ठ भवन निर्माता और नाहर ग्रुप (Nahar Group) के संस्थापक अध्यक्ष सुखराज नाहर विगत 5 दशकों से रियल एस्टेट इंडस्ट्री में कार्यरत हैं। नाहर ग्रुप ने हमेशा क्वालिटी कंस्ट्रक्शन पर फोकस करते हुए मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, चेन्नई और जालौर में अब तक 10,000 परिवारों के घर का सपना साकार किया है। रियल एस्टेट सेक्टर की मौजूदा स्थिति, चुनौतियों और भावी परिदृश्य पर सुखराज नाहर से वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज की विस्तृत चर्चा हुई। पेश हैं उसके मुख्य अंश:-

    पिछले कुछ महीनों से घरों की बिक्री में अच्छी तेजी के आने के क्या कारण हैं?

    ऐसा है कि कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में आई तेज रिकवरी से रियल्टी सेक्टर में उत्साह का संचार हुआ है। होम लोन दरें (Home Loan Rates) भी ऐतिहासिक निचले स्तरों पर चल रही हैं। सरकार द्वारा वैक्सीनशन तेजी से किए जाने से कोरोना पर नियंत्रण पाने में सफलता मिली है। सभी उद्योग-धंधे खुल गए हैं। इससे फेस्टिव सीजन में ग्राहकों का उत्साह दोगुना हो गया है। दूसरे, डेवलपर्स भी बायर्स की चाहत के अनुसार ही हाउसिंग प्रोजेक्ट (Housing Projects) लांच कर रहे हैं। साथ ही आकर्षक पेमेंट स्कीम और विशेष ऑफर दे रहे हैं। इन सब कारणों से घरों की बिक्री में तेजी आ रही है। कुल मिलाकर रियल एस्टेट में विकास के नए दौर की शुरूआत हो चुकी है, जो आगामी 5 वर्षों में नई ऊंचाईयों पर पहुंचता दिखाई देगा।

    किस तरह के आवास की मांग ज्यादा दिख रही है?

    कोरोना काल में लोगों को घर की अहमियत समझ में आयी है। इसलिए हर परिवार सुविधाओं युक्त अच्छा व बड़ा घर खरीदना चाहता है। इस कारण अब घर खरीददारों का रूझान टाउनशिप प्रोजेक्ट की तरफ अधिक है। जहां अच्छे लोकेशन के साथ रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर हो, चाहे वह स्कूल हो या रिटेल या ओपन स्पेस, हेल्थकेयर, सभी एक ही जगह मिले।

    सीमेंट-स्टील सहित अन्य निर्माण सामग्री महंगी होने से डेवलपर्स की लागत बढ़ रही है। इसका घरों की कीमतों पर क्या असर हो रहा है?

    सीमेंट (Cement), स्टील (Steel) सहित सभी तरह की निर्माण सामग्री की कीमतों में लगातार उछाल ने घर निर्माण लागत को बढ़ा दिया है और इससे घर खरीदारों और डेवलपर्स, दोनों समान रूप से प्रभावित हो रहे हैं। इनके अलावा कोरोना के कारण मैनपावर खर्च भी काफी बढ़ गया है। साथ ही महंगे हुए पेट्रोल-डीजल ने खर्च बढ़ाया है। मंहगी होती निर्माण सामग्री और अन्य खर्चों में बढ़ोतरी से निर्माण लागत 25 से 30% तक बढ़ गयी है। इसका असर घरों की कीमतों पर भी पड़ रहा है। कीमतों में 10 से 15% की वृद्धि हुई है।

    आप कीमतों में आगे क्या ट्रेंड देख रहे हैं?

    पिछले 20 महीनों में डेवलपर्स की निर्माण लागत (Construction Cost) बहुत ज्यादा बढ़ी है। फिर भी घरों की कीमतें अभी उतनी ज्यादा नहीं बढ़ी है। क्योंकि डेवलपर्स फिलहाल बढ़ी हुई लागत को वहन कर रहे हैं, ताकि मार्केट का सेंटीमेंट अच्छा बना रहे। परंतु डेवलपर्स के लिए अब बढ़ी हुई लागत वहन कर पाना आर्थिक रूप से कठिन होता जा रहा है। क्योंकि स्टील-सीमेंट या अन्य किसी सामान की कीमत घटने का भी तो कोई संकेत नहीं है। इस कारण आगे घरों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।

    वैसे तो रियल्टी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। अब आपके हिसाब से और क्या प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है?

    यह सही है कि केंद्र व राज्य सरकार ने रियल्टी इंडस्ट्री, विशेषकर हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन दिए हैं। लेकिन रियल एस्टेट रोजगार (Employment) और आर्थिक विकास (Economic Development) की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्योग क्षेत्र है। जिससे 250 से अधिक संबधित उद्योग जुड़े हुए हैं। इसलिए प्रोत्साहन जारी रखने की जरूरत है। राज्य सरकार को स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) में कटौती करनी चाहिए ताकि ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश करें। केद्र सरकार को निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लाकर उनको नियंत्रण में रखना चाहिए और कॉर्टेलाइजेशन न हो, इसके लिए सख्त कानून बनाने चाहिए। साथ ही रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के निर्माण में लगने वाली कई तरह की मंजूरियों को कम कर ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस’ (Single Window Clearance) किया जाना चाहिए। क्योंकि मंजूरियों में देरी से भी लागत बढ़ती है। सरकार को नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए कम ब्याज पर कर्ज उपलब्ध कराने के साथ कंस्ट्रक्शन प्रीमियम को भी घटाना चाहिए, ताकि घरों की निर्माण लागत में कमी आए और अफोर्डबल हाउसिंग (Affordable Housing) को बढ़ावा मिल सके।