प्राण  विलेन होकर हीरो से ज्यादा लेते थे फीस, उनका हर एक किरदार दर्शकों के दिलों पर करते थे राज

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    मुंबई: अभिनेता प्राण (Pran) की आज यानी 12 जुलाई को पुण्यतिथि (Death Anniversary) है। 1940 से लेकर 1990 तक सिनेमा जगत में खलनायकी का दूसरा नाम रहे प्राण कृष्ण सिकंदर यानी कि प्राण अपने दमदार अभिनय के लिए आज भी याद किए जाते हैं। उस दौर में कई सुपरस्टार आए और चले गए लेकिन विलेन के तौर पर प्राण फिल्मकारों की पहली पसंद बने रहे। उनके किरदारों का ऐसा खौफ था कि कि लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना भी छोड़ दिया था। फिल्म के आखिरी में सभी कलाकारों के नामों के बाद ‘एंड प्राण’ लिखा हुआ आता था जो फिल्म में उनकी दमदार मौजूदगी और दर्शकों के क्रेज को बताता था। प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में हुआ था। 

    विभाजन से पहले प्राण 22 फिल्मों में बतौर विलेन काम कर चुके थे। वहीं हिंदी फिल्मों में उन्होंने साल 1942 में फिल्म ‘खानदान’ से काम शुरू किया। प्राण ने भले ही नेगेटिव रोल्स किए हैं, लेकिन फैंस के दिलों में उनकी इज्जत किसी हीरो से कम नहीं। प्राण के काम को दर्शक और क्रिटिक्स इतना पसंद करते थे कि भले ही एक्टर फिल्म में विलेन हों, लेकिन प्रोड्यूसर्स उन्हें फीस हीरो से ज्यादा देते थे। बता दें कि प्राण सबसे ज्यादा फीस लेने वाले एक्टर थे। प्राण से ज्यादा फीस सिर्फ राजेश खन्ना लेते थे। 60 और 70 के दशक में प्रोड्यूसर्स दोनों को साथ लेने से बचते थे क्योंकि दोनों ही ज्यादा फीस लेते थे।  एक दौर तो ऐसा भी था जब वह अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) से भी ज्यादा फीस लेते थे। प्राण अपने कैरेक्टर में इतने ढल चुके थे कि रियल लाइफ में भी लोग उन्हें उसी तरह का समझते थे।

    एक बार प्राण दिल्ली में अपने दोस्त के घर चाय पीने गए। उस वक्त उनके दोस्त की छोटी बहन कॉलेज से वापस आई तो दोस्त ने उसे प्राण से मिलवाया। इसके बाद जब प्राण होटल लौटे तो दोस्त ने उन्हें पलटकर फोन किया और कहा कि उसकी बहन कह रही थी कि ऐसे बदमाश और गुंडे आदमी को घर लेकर क्यों आते हो? बता दें कि प्राण अपने किरदार को इतनी खूबी से निभाते थे कि लोग उन्हें असल में भी बुरा ही समझते थे। प्राण कहते थे कि उन्हें हीरो बनकर पेड़ के पीछे हीरोइन के साथ झूमना अच्छा नहीं लगता।

    हिंदी सिनेमा में अपना शानदार योगदान देने के लिए प्राण को 3 बार फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड मिल चुका है। 1997 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया है।  वहीं 2001 में प्राण को पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।