मर्डर एट कोह ई फिजा (Photo Credits: Instagram)
मर्डर एट कोह ई फिजा (Photo Credits: Instagram)

इस शुक्रवार अभिनेत्री श्रेया नारायण की फिल्म मर्डर एट कोह ए फ़िज़ा " शेमारू ओटीटी पर रिलीज हुई हैं आइए जानते हैं कैसी हैं यह फिल्म।

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    कलाकार : श्रेया नारायण , अकरम खान , अमित्रयान और सनी सिंह

    निर्माता : मनोज नंदवाना

    निर्देशक : दिवाकर नाईक़

    अवधि : 101 मिनट

    सेंसर : 

    रेटिंग्स: 3 स्टार्स

    चौंकाती हैं कहानी

    विक्रम और कंगना नाम के पति-पत्नी भोपाल की पॉश कालोनी ‘कोह ए फिजा’ में बहुत ही शानदार लाइफ स्टाइल जी रहे हैं। दास बाबू विक्रम के सीनियर थे जिन्हें विक्रम प्रमोशन के लिए मार देता है। विक्रम को एक कंपनी में सीईओ का पद मिलता है। उन्होंने कंपनी के फंड का इस्तेमाल कंगना के नाम पर एक रिसॉर्ट खरीदने के लिए किया है और उन्होंने 100 करोड़ रुपए की बीमा पॉलिसी ली थी। सरकार ने उनकी जमीन को ग्रीन जोन घोषित कर दिया जिसके चलते वह उस पर अपना रिसॉर्ट नहीं बना सके। जैसा कि मामला था, विक्रम दिवालिया हो गया। वह रकम चुकाने का अपना पदभार ठीक से नहीं संभाल पाता और उनके एमडी ने उन्हें कंपनी से निकाल देते हैं।

    अचानक उसे अपने इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में याद आता है। विक्रम और कंगना पॉलिसी के कागजात खोजते हैं और एक योजना को अंजाम देते हैं। विक्रम खुद को एक मृत व्यक्ति के रूप में घोषित करता है और इसके बजाय वे एक निर्दोष चाय विक्रेता प्रसाद को मार देते हैं। उदय सक्सेना – एक जांच अधिकारी, को इस मामले में गड़बड़ी होने का आभास होने लगता है। वह कंगना को बुलाता है और उसके साथ फ्लर्ट करता है। कंगना उन्हें सिर्फ इंश्योरेंस क्लेम क्लीयर कराने की इजाजत देती हैं। जब तक इंस्पेक्टर राजवीर घटनास्थल पर आता है। वह भी कंगना की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। राजवीर का बेहतरीन इस्तेमाल कंगना करती हैं। फ़रेब और धोखे के इस खेल में  विक्रम , कंगना , उदय और राजवीर सबके अपने प्लान हैं फिल्म आपको बार बार चौंकाती हैं ।

    अभिनय

    फिल्म में सभी कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया हैं श्रेया नारायण अपने अभिनय के लिए पहचानी जाती हैं कंगना के किरदार में वह परंदे पर कमाल करती हैं कामुकता के दृश्य में भी उनकी अदाकारी प्रभावशाली हैं  विक्रम  के किरदार में अमित्रयान  जंचते हैं इंश्योरेंस कम्पनी के अधिकारी उदय के किरदार में सनी सिंह ने प्रभावित किया हैं वह अपने चेहरे पर लालच और धोखेबाज के भाव चालाकी से दिखाने में कामयाब रहते हैं  अकरम खान ने इंस्पेक्टर राजवीर को बहुत अच्छे से परदे पर निभाया हैं

    लेखन – निर्देशन

    दिवाकर नाईक बतौर निर्देशक इस फिल्म में परिपक्व नजर आते हैं फिल्म शुरू से अंत तक चौंकाती हैं दर्शक जब भी फिल्म को समझने लगता हैं तो एक नया ट्विस्ट जिज्ञासा को फिर से बढ़ा देता हैं फिल्म में कंगना का किरदार सबसे ज्यादा मजबूत नजर आता है। निर्देशक की यह सबसे बड़ी सफलता हैं की वह विक्रम, उदय और राजवीर जैसे मजबूत किरदार के बीच में कंगना सबसे ज्यादा स्ट्रॉन्ग बनकर सामने आती हैं.

    क्या हैं सबसे खास

    फिल्म की कहानी ट्रेडिशन होते हुए भी आपको ट्रीटमेंट में  नावेल्टी  देखने को मिलती हैं फिल्म का प्रचार शुरू में एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म के तौर पर किया जाता हैं लेकिन परदे पर आप एकदम नयी कहानी देखते हैं और इस कहानी के सभी किरदार, ट्विस्ट और टर्न्स आपको चौकाने में कामयाब रहते हैं.