
मुंबई: 60-70 के दशक की दिग्गज एक्ट्रेस आशा पारेख आज अपना 81वां जन्मदिन मना रही हैं। 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात में जन्मीं पारेख ने अपने चार दशक लंबे करियर में 85 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। अभिनेत्री ने अपने करियर की शुरुआत 1952 में फिल्म ‘मां’ से एक बाल कलाकार के रूप में की थी और 1959 में फिल्म ‘दिल देके देखो’ में मुख्य अभिनेत्री के रूप में नजर आईं।
आशा पारेख का फिल्मी सफर जितना सफल रहा, उनकी प्रेम कहानी उतनी ही निराशाजनक रही। वह जिस आदमी से प्यार करती थी वह पहले से ही शादीशुदा था। इसलिए आशा पारेख जीवन भर कुंवारी रहीं। आज उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें।
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पहली ही फिल्म से निकाल दिया बाहर
आशा पारेख का हिंदी फिल्मों में एक ऐसा दौर भी था जब वह बॉलीवुड में काफी लोकप्रिय थीं। 16 साल की उम्र में आशा पारेख को विजय भट्ट की फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ (1959) में काम करने का मौका मिला। लेकिन डायरेक्टर ने उन्हें ये कहकर फिल्म से निकाल दिया कि उनमें स्टार बनने की क्वालिटी नहीं है। इस फिल्म में उनकी जगह अमिता को लिया गया।
आशा पारेख और नासिर हुसैन के बीच बनी केमिस्ट्री
भट्ट साहब की टीम में थे नासिर हुसैन। यह बात उन्हें नागवार गुजरी और इस घटना के एक हफ्ते बाद उन्होंने आशा को फिल्म ‘दिल देके देखो’ के लिए कास्ट कर लिया। फिल्म हिट रही और आशा पारेख रातों-रात स्टार बन गईं। इस फिल्म के दौरान आशा पारेख और नासिर हुसैन के बीच ऐसी केमिस्ट्री बनी कि इस जोड़ी ने 6 फिल्मों ‘जब प्यार किसी से होता है’, ‘फिर वो ही दिल लाया हूं’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘बहारों के सपने’, ‘प्यार का मौसम’ और ‘कारवां’ के लिए साइन किया गया। ये सभी फिल्में हिट रहीं।
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नासिर हुसैन में ढूंढने लगीं अपना हमसफर
फिल्मी सफर ने उनकी निजी जिंदगी को भी प्रभावित किया और आशा पारेख शादीशुदा नासिर हुसैन में अपना हमसफर ढूंढने लगीं। लेकिन उनका ये सपना सिर्फ सपना ही रह गया। जब आशा पारेख ने अपनी बायोग्राफी ‘द हिट गर्ल’ में इस बात का जिक्र किया तो उनकी प्रेम कहानी पूरी दुनिया के सामने आ गई। इस किताब के लॉन्च के दौरान एक्ट्रेस ने इस बात का स्वीकार किया था कि नासिर ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिनसे उन्होंने कभी प्यार किया था।
अविवाहित रहने का लिया फैसला
आशा पारेख के मुताबिक, मैं कभी घर तोड़ने वालों में नहीं थी। मेरे और नासिर साहब के परिवार के बीच कभी कोई अनबन नहीं हुई। मैं कभी भी हुसैन को उसके परिवार से अलग नहीं करना चाहती थी और इसी डर से मैंने उनसे शादी नहीं की। हालांकि आशा पारेख की मां ने इस रिश्ते को मंजूरी दे दी थी, लेकिन आमिर खान के पिता ताहिर हुसैन समेत नासिर हुसैन का परिवार इसके सख्त खिलाफ था। आशा पारेख के परिवार ने भी कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो सका। नासिर साहब के निधन के बाद आशा पारेख ने खुद को अविवाहित रखने का फैसला किया, जिसे वह आज भी निभा रही हैं।
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आशा पारेख के अवॉर्ड्स
सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। साल 2020 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा आशा पारेख को फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड (कटी पतंग) से भी नवाजा जा चुका है।