Fakir Syed Aijazuddin
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    मुंबई : फेमस (Famous) पाकिस्तानी (Pakistani) इतिहासकार (Historian) और शिक्षाविद (Educationist) फकीर सैयद एजाजुद्दीन (Fakir Syed Aijazuddin) को आज भी 1983 का वह दिन याद है, जब उन्होंने महान (Great) गायिका (Singer) लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को दोपहर के भोजन के दौरान मसालेदार अचार और तीखी करी का स्वाद लेते देखा था, जो ऐसी चीज है, जिससे गायक आमतौर पर परहेज करते है। इतिहासकार ने मीडिया को एक इंटरव्यू में बताते हुए कहा कि ‘लता मंगेशकर की आवाज ईश्वर की ओर से एक भेंट थी, क्योंकि इसमें दिव्यता की अनुभूति थी और उन्हें सुनना सुकून महसूस करने की तरह था।’

    फकीर सैयद एजाजुद्दीन ने कहा, ‘लता मंगेशकर एक अलौकिक आवाज थी। उन्होंने इसे भगवान का एक उपहार बताया था। उन्होंने इसे एक वरदान के रूप में माना और इसके साथ मिली जिम्मेदारी के साथ कभी विश्वासघात नहीं किया। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि ईश्वर को देख नहीं सकते हैं, लेकिन गीत के माध्यम से उसकी दिव्यता को सुन सकते हैं।’ मंगेशकर का रविवार को निधन हो गया। फकीर सैयद एजाजुद्दीन समेत गायिका के कई प्रशंसकों ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया। एजाजुद्दीन ने जनवरी 1983 में अबू धाबी में एक संगीत कार्यक्रम के दौरान गायिका से मुलाकात को याद किया।

    फकीर सैयद एजाजुद्दीन ने कहा, ‘उन्होंने दोपहर को रियाज किया और उसी शाम शानदार प्रस्तुति दी। सफेद साड़ी पहने हुए वह मंच के पास पहुंची, उन्होंने अपनी सैंडल उतारी और फिर एक पवित्र ‘श्लोक’ के साथ शुरुआत की… राज कपूर की फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के शीर्षक गीत में उन्होंने शानदार प्रस्तुति दी।’ कार्यक्रम के बाद गायिका से फकीर सैयद एजाजुद्दीन की मुलाकात हुई। उन्होंने कहा, ‘हर किसी को लगता होगा कि वह अपने गले को लेकर बहुत सतर्क रहती होंगी।

    लेकिन ऐसा नहीं है, दोपहर के भोजन के दौरान, उन्होंने मसालेदार अचार और तीखी करी का आनंद लिया।’ फकीर सैयद एजाजुद्दीन ने अपना जीवन भारतीय लघु चित्रकला, सिख कला इतिहास, उपमहाद्वीप की यात्रा करने वाले 19वीं सदी के कलाकारों के काम पर शोध करते हुए बिताया है। इतिहासकार ने कहा कि 1950 के दशक में पाकिस्तानी सिनेमाघरों में भारतीय फिल्में खूब दिखाई जाती थीं। (एजेंसी)