मुंबई: बॉलीवुड के प्रसिद्ध सरोद वादक अमजद अली खान (Amjad Ali Khan) 9 अक्टूबर को अपना जन्मदिन मना रहे है। उनका जन्म 1945 में दिल्ली में हुआ था। अमजद अली खान एक प्रसिद्ध सरोद वादक हैं जिनको भारत सरकार द्वारा सन 1991 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उनके पिता उस्ताद हाफ़िज़ अली खाँ ग्वालियर राज-दरबार में प्रतिष्ठित संगीतज्ञ थे।
अमजद अली खान ने महेश बारह वर्ष की आयु में एकल सरोद-वादन का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया था। एक छोटे से बालक की सरोद पर अनूठी लयकारी और तंत्रकारी सुन कर दिग्गज संगीतज्ञ दंग रह गए। अमजद ने अपने पिता के ही शिष्य थे, जिन्होंने सेनिया घराना सरोद वादन में परंपरागत तरीके से तकनीकी दक्षता हासिल की।
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भारत और विदेश के इन व्यापक प्रदर्शनों को काफी न पाकर अमजद अली ने शास्त्रीय संगीत में अभिनव परिवर्तन के अलावा बच्चों के लिए गायन एवं वाद्य संगीत की रचना की। ग्वालियर में जन्में अमजद अली खान ने भरतनाट्यम नृत्यांगना शुभालक्ष्मी के साथ शादी की। अमजद की सर्जनात्मक प्रतिभा को उनके द्वारा रचित कई मनमोहक रागों में अभिव्यक्ति मिली। उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की स्मृति में क्रमश: राग प्रियदर्शनी और राग कमलश्री की रचना की। उनके द्वारा रचित अन्य रागों में शिवांजली, हरिप्रिया कानदा, किरण रंजनी, सुहाग भैरव, ललित ध्वनि, श्याम श्री और जवाहर मंजरी शामिल हैं।
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कहा जाता है कि अमजद अली खान के जिंदगी में एक ऐसा भी वक़्त आया था जब नौकरी ना होने के वजह से उन्हें अपने बेघर होना पड़ा था। 1963 में मात्र 18 वर्ष की आयु में उन्होंने पहली अमेरिका यात्रा की थी। इस यात्रा में पण्डित बिरजू महाराज के नृत्य-दल की प्रस्तुति के साथ अमजद अली खाँ का सरोद-वादन भी हुआ था।
अमजद ने 1971 में उन्होंने द्वितीय एशियाई अन्तर्राष्ट्रीय संगीत-सम्मेलन में भाग लेकर ‘रोस्टम पुरस्कार’ प्राप्त किया था। उन्हें यूनेस्को पुरस्कार, कला रत्न पुरस्कार, 1975 में पद्मश्री, 1989 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1989 तानसेन सम्मान, 1991 में पद्म भूषण, और 2001 में पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया हैं।