वनपट्टेधारक किसानों को धान बिक्री की प्रतीक्षा, सरकार की लापरवाह निती से किसानों में निराशा

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    धानोरा. किसानों के धान की पिसाई होकर तीन माह का कालावधि हो चुका है. किंतु अभी तक वनपट्टेधारक किसानों की धान खरीदी करने की अड़चण दूर नहीं हुई. जिससे वनपट्टेधारक किसान अभी तक धान बिक्री के प्रतीक्षा में ही है. धान बिक्री न होने से किसान परिवार पर भुखमरी की नौबत आन पड़ी है.

    आदिवासी व गैर आदिवासी वननिवासी अतिक्रमित वनजमीन अधिनियम 2005 अंतर्गत वर्ष 2005 के पूर्व अनेक किसानों ने वनजमीन पर अतिक्रमण कर जीवनयापन करने के लिए खेती तैयार की. सरकार दरबार पर उक्त जमीन के वनपट्टे देने संदर्भ में आवेदन पेश किया. जिससे धानोरा तहसील रांगी परिसर के सैकड़ों किसानों को इस अधिनियम अंतर्गत खेत जमीन मिली.

    किंतु तत्कालीन तलाठी व अन्य प्रशासकीय अधिकारियों के लापरवाही से, गलत पंजीयन से कुछ किसानों का अब तक सातबारा तैयार नहीं हुआ. कुछों के सातबारे तैयार हुए. मात्र सरकार के आनलाइन प्रणाली में वनपट्टेधारक किसानों के सातबारा का रेकार्ड नहीं किया गया. धान खरीदी केंद्र पर धान बेचने के लिए सातबारा अनिवार्य होन से धान की बिक्री करने संदर्भ में अनेक दिक्कते निर्माण हुई है. मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार किसानों पर अन्याय करने की तस्वीर दिख रही है. 

    वर्ष 2020-21 इस चालू सत्र में सम्पूर्ण गडचिरोली जिले में आदिवासी विकास महामंडल तथा महाराष्ट्र राज्य मार्केटिंग फेडरेशन द्वारा विभिन्न धान खरीदी केंद्र पर सरकारी धान खरेदी शुरू हुई है. सरकार दरबार पर वनजमीन के पट्टे देने का मामला बार बार निदर्शन में लाकर भी सरकार इसकी ओर जानबूझकर अनदेखी कर रही है. जिससे सरकार के प्रती वनपट्टेधारक किसानों का रोष बढ़ता जा रहा है.

    इस मामले संदर्भ में कई बार किसानों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाने से सरकार की ओर से उक्त वनपट्टे धारक किसानों का धान खरीदी करने संदर्भ में परिपत्रक निकाला, ऐसा जनप्रतिनिधियों ने बताया था. किंतु प्रत्यक्ष में वनपट्टे धारकों के धान खरीदी संदर्भ में किसी भी तरह की शुरूआत न होने से किसान चिंता में है. एक ओर धान की बिक्री नहीं व दुसरी और प्रकृति ने खरीफ सत्र की फसल मावा, तुडतुडा जैसे कीटों ने नष्ट किया. बेमौसम बारिश से रबी फसलों का काफी नुकसान हुआ. किसान बांधवों को आर्थिक नुकसान सहन करना पड़ रहा है.

    रांगी परिसर के सैकड़ों किसान वंचित

    गडचिरोली जिला आदिवासी व जंगल से घिरा होकर जिले के अधिकांश लोगों को वनाधिकारी कानून के अनुसार वनजमीन का पट्टा मिला है. जिसमें धानोरा तहसील रांगी का व परिसर के सैकडों किसानों का समावेश है. उक्त किसान रांगी के धान खरीदी केंद्र पर धान बिक्री के लिए लाते है. रांगी के धान खरीदी केंद्र अंतर्गत रांगी, कन्हालगाव, खेड़ी, निमगाव, निमनवाड़ा, मासरगाटा, बोरी आदि गाव आते है.

    सरकार ने धान खरीदी के लिए जमीन का सातबारा आवश्यक किया है. किंतु वनाधिकार जमीन का ऑनलाइन प्रक्रिया में सातबारा उपलब्ध न होने से सरकारी धान खरीदी केंद्र पर वनजमीन धारक किसानों को धान बिक्री करने में दिक्कते आ रही है. वनाधिकार पट्टे धारक किसान धान खरीदी केंद्र पर बार बार चक्कर काट रहे होकर इस प्रश्न संदर्भ में पुछताछ कर रहे है. 

    आठ दिनों में समस्या हल करें; अन्यथा आंदोलन

    आदिवासी विकास विभाग महामंडल के लापरवाह निती से प्रशासन के व जनप्रतिनिधियों के अनदेखी से देरी होने से वनजमीन पट्टेधारक किसानों की समस्या अभी तक हल नहीं हुई. विशेष रूप से, इसके पूर्व अनेक किसानों ने निजी व्यापारियों को धान की बिक्री की. निजी व्यापारी कम दाम में खरीदी कर किसानों को लुट रहे है. जिससे किसानों को काफी नुकसान सहन करना पड़ रहा है. उक्त समस्या जल्द से जल्द हल करे, ऐसी मांग रांगी परिसर के किसानों ने की है. उक्त समस्या आनेवाले आठ दिनों में हल न होने पर रांगी व परिसर के वन पट्टेधारक किसानों ने आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है.