भामरागढ़ के आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार रहा युवा तहसीलदार

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    • दुर्गम क्षेत्र तक पहुंचाई जा रही सरकारी योजनाएं

    गड़चिरोली. जिले की सबसे पिछड़ी, आदिवासी बहुल, नक्सल प्रभावित और अतिदुर्गम क्षेत्र में बसी भामरागड़ तहसील के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिये तरस रहे है. ऐसे में इस तहसील में सरकारी योजनाएं पहुंचकर तहसील के आदिवासी नागरिकों का जीवनस्तर सुधारने के लिये युवा तहसीलदार अनमोल कांबले ने भामरागड़ में तहसील की कमान संभाली है.

    अपने वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में तथा अधिनिस्त कर्मचारियों के साथ मिलकर तहसील के दुर्गम और दुर्गम क्षेत्र में बसे आदिवासी नागरिकों तक सरकारी योजनाएं पहुंचकर उनका जीवनस्तर सुधारने में प्राथमिकता दे रहे है. अब तक अनेक आदिवासी नागरिक सरकारी योजनाओं से वंचित थे. मात्र कांबले ने केवल 9 माह की कालावधि में अपने कार्य के प्रति तत्परता दिखाते हुए दुर्गम क्षेत्र के लोगों तक सरकारी योजनाएं पहुंचाने में सफल हुए है. जिससे उनके कार्य की भामरागड़ तहसील में सराहना की जा रही है.

    स्वयं करते है दुर्गम क्षेत्र का दौरा

    आम तौर पर देखा जाता है कि, अधिकारी अपने कक्ष में बैठकर अपने अधिनस्त कर्मचारियों को दुर्गम क्षेत्र का दौरा करने लगाते है. और उनके दुर्गम क्षेत्र में किये जानेवाले कार्यो का जायजा लेकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को रिपोर्ट भिजवाते है. मात्र भामरागड़ के युवा तहसीलदार कांबले अपने कार्य की अलग छाप छोड़ते हुए अपने कर्मचारियों को लेकर स्वयं ही दुर्गम क्षेत्र का दौरा करते है.

    इस तहसील के अधिकत्तर गांवों में जाने के लिये पक्की सड़के नहीं है. वहीं अनेक नदी, नालों पर पुलिया भी नहीं बन पाए है. ऐसे स्थिति में भी तहसीलदार जीन गांवों में पहुंचना संभव है, ऐसे गांवों में वाहन से पहुंचते है. और जीन गांवों में वाहन नहीं पहुंच पाती, ऐसे गांवों में पैदल ही नदी, लाने पार करते है. जिससे दुर्गम क्षेत्र के लोगों भी उनके कार्य की प्रशंसा की जा रही है.

    कोरोना कालावधि में किया उल्लेखनीय कार्य

    कोरोना टीकाकरण मुहिम को लेकर दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्र के लोगों में गलतफहमियां फैल गई थी. जिसके कारण लोग टीकाकरण कराने को तैयार नहीं थे. ऐसे में यह क्षेत्र आदिवासी बहुल होने के कारण इस क्षेत्र के लोगों को समझाना काफी मुश्किल हो गया था.

    तहसीलदार ने तहसील के 45 आयुसीमा के अधिक के नागरिक कोरोना टीका से वंचित न रहे, इसलिये आदिवासी भाषा बोलनेवाले कर्मचारियों के साथ गांव-गांव में पहुंचकर आदिवासी नागरिकों में कोरोना टीकाकरण को लेकर जनजागृति की. जिसका नतिजा  तहसील के 100 फिसदी गांवों में कोरोना का संक्रमण रोकने के मदद मिली.

    साथ ही 45 आयुसीमा से अधिक लोगों का करीब 58 फिसदी टीकाकरण करनेके साथ तहसील के 125 गांवों में से 84 गांवों में मुहिम चलाने में तहसील प्रशासन को सफलता मिली है. विशेषत: आदिवासी छात्र शिक्षा से वंचित न रहे इसलिये विशेष प्रयास कर रहे है. तहसील के छात्र जवाहर नवोदय विद्यालय के परिक्षा से वंचित न रहे, इसलिये उन्हें परिक्षा देने हेतु तहसील मुख्यालय में प्रबंधन भी किया. उनके कार्य की सराहना करते हुए राजस्व दिवस के उपलक्ष्य में जिलाधिश दीपक सिंगला के हाथों उन्हें सम्मानित किया गया.

    चैलेंज के रूप में मांगा भामरागड़

    अक्सर देखा जाता है कि, गड़चिरोली जिले का नाम सुनते ही बाहर जिले के अधिकारी व कर्मचारी इस जिले में तबादला न हो इसलिये प्रयास करते रहते है. यदि तबादला हुआ भी तो, जल्द से जल्द इस जिले से बाहर निकलने की फिराक में रहते है. ऐसे में तत्कालीन राज्यपाल द्वारा गोद लिये भामरागड़ तहसील आज भी उपेक्षित होने के कारण इस तहसील में सेवा देने से अधिकारी वर्ग हां-ना करते रहते है.

    लेकिन तहसीलदार अनमोल कांबले ने दुर्गम क्षेत्र में सेवा देने की इच्छा के चलते और कुछ कर दिखाने की चाह के चलते अमरावती जिले के चिकलदरा तहसील में तबादला होने के बावजूद भी गड़चिरोली जिले की भामरागड़ में काम करने की इच्छा व्यक्त की. प्रशासन से गुहार लगाकर उन्होंने भामरागड़ तहसील मांगा है.