Scientists find an infection-free method of reusing N95 mask
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    गोंदिया. कोरोना संक्रमण ने गत दो वर्षों से सभी को परेशान कर दिया और इसके कारण  पूरी दुनिया हलाकान हो गई. मास्क, सेनेटाइजर से लेकर पीपीई कीट जैसी तमाम चीजों के माध्यम से लोगों ने इससे बचने की कोशिश की लेकिन ना जाने कितने लोगों की जान इस महामारी ने ले ली. कोरोना संक्रमण से बचने के लिए हर इंसान मास्क का उपयोग कर रहा है.

    लेकिन कुछ लोगों को मास्क लगाने से श्वांस संबंधी व खुजली होने की शिकायत हो रही है. अनेक नागरिक दम घूटने के कारण भी अपने मास्क मुंह से हटाकर रख रहे हैं. कोरोना से बचाव के लिए त्रिसूत्रीय फार्मूले में सबसे आवश्यक मास्क की अनिवार्यता को अधिकांश लोग स्वीकार कर रहे हैं.

    वहीं मास्क के अत्याधिक उपयोग से सांस फूलने तथा त्वचा संबंधी रोग होने की बात सामने आ रही है. कोरोना से बचने के लिए मास्क के अलावा सैनिटाइजर तथा दो गज की दूरी जैसे फार्मूले अपनाए जा रहे हैं. जो लोग कोरोना बचाव संबंधित त्रिसूत्री का पालन कर रहे है उनकी बात तो ठीक है लेकिन जो लोग कोरोना बचाव संबंधित तीन सूत्र का पालन नहीं कर रहे है उनसे जुर्माने के तौर पर वसूली भी की जा रही है.

    लेकिन फिर भी नियमों का पालन शत प्रश.नहीं हो रहा है. मास्क लगाने से खुजली होने की बात सामने आने के बाद यह बात भी कही जाने लगी है कि आखिर खुजली के पीछे का कारण क्या है. क्या खुजली मास्क को अच्छी तरह न धोने के कारण हो रही है, या फिर इसके पीछे का कारण कुछ और है.

    मास्क के उपयोग से होने वाली त्वचा संबंधित बीमारी के मद्देनजर लोगों को यह भी सलाह दी जा रही है कि जब भीड़ अधिक हो तब मास्क पहनना अनिवार्य किया जाए लेकिन अगर कार्यालय या किसी अन्य स्थल पर कोरोना से बचाव संबंधी पालन किया जा रहा हो तो वहां पर मास्क की अनिवार्यता जरूरी नहीं है. सब्जी बाजार में मास्क की सबसे अधिक जरूरत महसूस की जा रही है. इसके अलावा सार्वजनिक स्थल जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड, ऑटों में बैठने पर, किसी प्रार्थना स्थल पर जाते समय यानी जहां भीड़ हो वहां मास्क जरूर पहना जाए.

    लेकिन घंटों तक मुंह पर मास्क लगाने से त्वचा रोग, खुजली, सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती है. बाजार में अलग अलग क्वालिटी के मास्क देखने मिल रहे है. डाक्टरों के अनुसार अगर मास्क का सही उपयोग नहीं किया जाता तो त्वचा के रोग होने से इनकार नहीं किया जा सकता. कोरोना का फैलाव न हो इसके लिए कुछ लोग एन-95 मास्क का उपयोग करते है.

    वहीं एन 95 मास्क काफी महंगा है और इसका उपयोग सभी लोग नहीं कर सकते. इसलिए कम कीमत के घरेलु मास्क लोगों की पहली पसंद बन गए है. मास्क लगाने के बाद कार्बन डायआक्साईड का प्रमाण बढ़ जाता है. जिससे हाईपरकोनिया, सिरदर्द तथा चक्कर आने जैसी समस्याएं सामने आती हैं. इतना ही नहीं मास्क के अति उपयोग से त्वचा पर असर पड़ता है. त्वचा में खुजली होने से मास्क न लगाने के लिए लोगों को मजबूर होना पड़ रहा है. 

    साफ और अच्छे मास्क का उपयोग हो : डा जैन

     डा. निलेश जैन  के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए साफ और बेहतर मास्क का उपयोग ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) से भी बचाने में मददगार साबित हो सकता है. लंबे समय तक कपड़े का मास्क पहनने से गंदगी की वजह से ब्लैक फंगस होने की आशंका अधिक हो जाती है, इसलिए इसे इतने अधिक समय तक पहनने से बचना चाहिए.

    खासकर ऐसे मरीज जिनकी प्रतिरोध क्षमता कम है उन्हें अधिक सावधान रहने की जरूरत है.कपड़े वाले गंदे मास्क का कई बार और देर तक इस्तेमाल करने से म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा अधिक हो सकता है. जरूरी हो तो कपड़े के मास्क के नीचे सर्जिकल मास्क पहनें और 6 घंटे के अंदर सर्जिकल मास्क को भी बदल दें या कपड़े के मास्क को साफ कर पहनें.