चमोली. अभी आ रही खबर के अनुसार तपोवन टनल (Tapovan Tunnel) में अचानक अफरा-तफरी का माहौल हो बन गया है। दरअसल रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) के दौरान टनल से पानी (Water In Tunnel) निकलने लगा, इसके बाद आनन-फानन में रेस्क्यू टीम और मशीनों को बाहर निकाल लिया गया है, बैरिकेड्स लगाकर सभी कर्मचारियों को अब टनल से दूर किया गया है।
Uttarakhand: Rescue operation temporarily halted in Chamoli district following a rise in the level of water in Rishiganga river.
A flash flood had hit the district following a glacial burst on February 7th. pic.twitter.com/k3eUrS2fKP
— ANI (@ANI) February 11, 2021
इसका प्रधान कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ना है और जिसके चलते उसका पानी टनल में भी आ गया है। इस वजह से अब रेस्क्यू टीम को आधे किलोमीटर तक पीछे ले जाया गया है। वहीं मौके पर मौजूद जिलाधिकारी का कहना है कि हमें अभी नहीं पता है कि जलस्तर कैसे और कितना बढ़ा है, लेकिन लोगों की सुरक्षा के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन को फिलहाल बंद कर दिया गया है।
#WATCH Uttarakhand: JCB machines, equipment and rescue teams exit the tunnel in Joshimath, Chamoli district where rescue operation is underway, as the operation has been temporarily halted due to a rise in the level of water in Rishiganga river. pic.twitter.com/u8JhPqCyFB
— ANI (@ANI) February 11, 2021
Rescue operation temporarily halted in Chamoli district due to a rise in the level of water in Rishiganga river. Orders have been given to vacate the areas downstream: Ashok Kumar, DGP Uttarakhand to ANI
(File pic) pic.twitter.com/SBngp1Xy3G
— ANI (@ANI) February 11, 2021
गौरतलब है कि आज उत्तराखंड के चमोली जिले में तपोवन सुरंग में फंसे 25 से 35 लोगों को ढूंढने में गाद के कारण बचाव अभियान में आ रही दिक्कतों के बाद बचाव दलों ने बृहस्पतिवार को बहुआयामी रणनीति अपनाई है। सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) द्वारा लगातार चलाए जा रहे बचाव और तलाश अभियान में पांचवे दिन बृहस्पतिवार को सुरंग में फंसे लोगों को ढूंढने के लिए रिमोट सेंसिंग से लेकर ड्रिलिंग तक हर तकनीक अपनाई जा रही है। बचाव अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि जिस सुरंग में लोगों के फंसे होने का अनुमान लगाया जा रहा है वह दरअसल कई सुरंगों का एक जाल है जिसमें कई सुरंगें या तो 90 डिग्री पर नीचे मुड़ती हैं या फिर कोण बनाकर दायें और बायें चली जाती हैं।
इस पर SDRF की उपमहानिरीक्षक रिद्धिम अग्रवाल ने बताया था कि, ‘‘सुरंग की जियो मैपिंग कराई गई थी जिससे हमें पता चल सके कि हमें क्या रणनीति अपनानी चाहिए। इसी क्रम में जियो मैपिंग के बाद ड्रिलिंग करने का फैसला लिया।” अग्रवाल ने बताया, ‘‘चूंकि हमारे पास समय कम है इसलिए हर उस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा जिससे सफलता मिलने की उम्मीद हो। हेलीकॉप्टर के जरिए रिमोट सेंसिंग से अंदर के फोटो लिए गए, जबकि ड्रोन से भी अंदर का जायजा लेने का प्रयास किया गया। हांलांकि, ड्रोन से कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई।” उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया, ‘‘ड्रिलिंग शुरू करने के अलावा पहले से की जा रही खुदाई और गाद निकालने का काम भी जारी है।” पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा, ‘‘फंसे लोगों को बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास किये जा रहे हैं।”
Uttarakhand Governor Baby Rani Maurya visited the tunnel rescue site in Chamoli district, today. She met ITBP officials to take stock of the ongoing rescue operation. pic.twitter.com/ByDkllBDj8
— ANI (@ANI) February 11, 2021
बता दें कि ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से 13।2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन—विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए।