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    चमोली. अभी आ रही खबर के अनुसार तपोवन टनल (Tapovan Tunnel) में अचानक अफरा-तफरी का माहौल हो बन गया है। दरअसल रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) के दौरान टनल से पानी (Water In Tunnel) निकलने लगा, इसके बाद आनन-फानन में रेस्क्यू टीम और मशीनों को बाहर निकाल लिया गया है, बैरिकेड्स लगाकर सभी कर्मचारियों को अब टनल से दूर किया गया  है। 

    इसका प्रधान कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ना है और जिसके चलते उसका पानी टनल में भी आ गया है। इस वजह से अब रेस्क्यू टीम को आधे किलोमीटर तक पीछे ले जाया गया है। वहीं मौके पर मौजूद जिलाधिकारी का कहना है कि हमें अभी नहीं पता है कि जलस्तर कैसे और कितना बढ़ा है, लेकिन लोगों की सुरक्षा के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन को फिलहाल बंद कर दिया गया है।

    गौरतलब है कि आज उत्तराखंड के चमोली जिले में तपोवन सुरंग में फंसे 25 से 35 लोगों को ढूंढने में गाद के कारण बचाव अभियान में आ रही दिक्कतों के बाद बचाव दलों ने बृहस्पतिवार को बहुआयामी रणनीति अपनाई है। सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) द्वारा लगातार चलाए जा रहे बचाव और तलाश अभियान में पांचवे दिन बृहस्पतिवार को सुरंग में फंसे लोगों को ढूंढने के लिए रिमोट सेंसिंग से लेकर ड्रिलिंग तक हर तकनीक अपनाई जा रही है। बचाव अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि जिस सुरंग में लोगों के फंसे होने का अनुमान लगाया जा रहा है वह दरअसल कई सुरंगों का एक जाल है जिसमें कई सुरंगें या तो 90 डिग्री पर नीचे मुड़ती हैं या फिर कोण बनाकर दायें और बायें चली जाती हैं।

    इस पर SDRF की उपमहानिरीक्षक रिद्धिम अग्रवाल ने बताया था कि, ‘‘सुरंग की जियो मैपिंग कराई गई थी जिससे हमें पता चल सके कि हमें क्या रणनीति अपनानी चाहिए। इसी क्रम में जियो मैपिंग के बाद ड्रिलिंग करने का फैसला लिया।” अग्रवाल ने बताया, ‘‘चूंकि हमारे पास समय कम है इसलिए हर उस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा जिससे सफलता मिलने की उम्मीद हो। हेलीकॉप्टर के जरिए रिमोट सेंसिंग से अंदर के फोटो लिए गए, जबकि ड्रोन से भी अंदर का जायजा लेने का प्रयास किया गया। हांलांकि, ड्रोन से कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई।” उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया, ‘‘ड्रिलिंग शुरू करने के अलावा पहले से की जा रही खुदाई और गाद निकालने का काम भी जारी है।” पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा, ‘‘फंसे लोगों को बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास किये जा रहे हैं।” 

    बता दें कि ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से 13।2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन—विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए।