jail
Representative Image

    Loading

    नई दिल्ली: देश में कोविड-19 (Covid-19) के मामलों में “अभूतपूर्व वृद्धि” पर संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शनिवार को जेलों (Jail) में भीड़ (Crowding) कम करने का निर्देश देते हुए कहा कि जिन कैदियों (Prisoners) को पिछले साल महामारी के मद्देनजर जमानत या पैरोल (Parole) दी गई थी उन सभी को फिर वह सुविधा दी जाए।

    प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की एक पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बनाई गई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा पिछले साल मार्च में जिन कैदियों को जमानत की मंजूरी दी गई थी, उन सभी को समितियों द्वारा पुनर्विचार के बगैर पुन: वह राहत दी जाए, जिससे विलंब से बचा जा सके।

    उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर शनिवार को अपलोड हुए आदेश में कहा गया, “इसके अलावा हम निर्देश देते हैं कि जिन कैदियों को हमारे पूर्व के आदेशों पर पैरोल दी गई थी उन्हें भी महामारी पर लगाम लगाने की कोशिश के तहत फिर से 90 दिनों की अवधि के लिये पैरोल दी जाए।”

    एक फैसले का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से कहा कि उन मामलों में यांत्रिक रूप से गिरफ्तारी से बचें जिनमें अधिकतम सजा सात वर्ष की अवधि की है। पीठ ने उच्चाधिकार प्राप्त समितियों को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशानिर्देशों को अपनाते हुए नए कैदियों की रिहाई पर विचार करें।