कैसे बसी धर्मनगरी अयोध्या, जाने कब और किसने किया था निर्माण

उच्चतम न्यायालय जल्द ही अयोध्या विवादित स्थल मामले में फैसला सुनाने वाला हैं। अयोध्या का विवाद 500 वर्ष पुराना है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब मुगल शासक बाबर ने मंदिर तुड़वा कर मज्जिद का निर्माण कराया।

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उच्चतम न्यायालय जल्द ही अयोध्या विवादित स्थल मामले में फैसला सुनाने वाला हैं। अयोध्या का विवाद 500 वर्ष पुराना है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब मुगल शासक बाबर ने मंदिर तुड़वा कर मज्जिद का निर्माण कराया। चलिए अब जानते है कैसे हुआ भगवान राम की नगरी अयोध्या का निर्माण। 

रामायण के अनुसार मनु ने अयोध्या की स्थापनाकी थी। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। जिसमें अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका में शामिल किया गया है। माना जाता है भगवान राम का जन्म आयोध्या में ही हुआ था। राम के पिता दशरथ का शासन यहां पर चलता था। पारंपरिक इतिहास में, अयोध्या कोसल राज्य की प्रारंभिक राजधानी थी. गौतमबुद्ध के समय कोसल के दो भाग हो गए थे- उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल जिनके बीच में सरयू नदी बहती थी। 

बता दें, बौद्ध काल में ही अयोध्या के निकट एक नई बस्ती बन गई थी जिसका नाम साकेत था। बौद्ध साहित्य में साकेत और अयोध्या दोनों का नाम साथ-साथ भी मिलता है. जिससे दोनों के भिन्न अस्तित्व के बारे में जानकारी मिलती है।  रामायण में अयोध्या का उल्लेख कोशल जनपद की राजधानी के रूप में ही किया गया है। पुराणों में इस नगर के संबंध में कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता है. वहीं राम के जन्म के समय यह नगर अवध (वर्तमान में अयोध्या) नाम जाना जाता है। 

अयोध्या में ऐसे स्थल पर एक मस्जिद बनवाया गया, जिसे हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं. कहा जाता है कि मुगल राजा बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहां मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। बाबर 1526 में भारत आया। 1528 तक उसका साम्राज्य अवध तक पहुंच गया. इसके बाद करीब तीन सदियों तक के इतिहास की जानकरी किसी भी ओपन सोर्स पर मौजूद नहीं है।

अयोध्या और साकेत दोनों नगरों को कई विद्वानों ने एक ही माना है। कालिदास ने भी रघुवंश में दोनों नगरों को एक ही माना है, जिसका समर्थन जैन साहित्य में भी मिलता है। कनिंघम ने भी अयोध्या और साकेत को एक ही नगर से समीकृत किया है। वहीं इसके उलट विभिन्न- विभिन्न विद्वानों ने साकेत को भिन्न-भिन्न स्थानों से समीकृत किया है। बौद्ध ग्रंथों में भी अयोध्या और साकेत को भिन्न-भिन्न नगरों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वहीं वाल्मीकि रामायण में अयोध्या को कोशल की राजधानी बताया गया है जिसके बाद संस्कृत ग्रन्थों में साकेत से मिला दिया गया है। 

‘अयोध्या’ गंगा के किनारे स्थित एक छोटा गांव या नगर बतलाया गया है। वही ‘साकेत’ उससे भिन्न एक महानगर था। इसलिए किसी भी दशा में ये दोनों एक नहीं हो सकते हैं। अयोध्या घाट और मंदिरों की एक धर्मनगरी है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है।