नई दिल्ली : टीएमसी (TMC) सांसद (MP) महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की संसद सदस्यता के खत्म करने के लिए आज लोकसभा में मतदान कराया गया और उसके बाद लोकसभा ने कैश-फॉर-क्वेरी मामले में पेश रिपोर्ट के आधार पर सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गयी। हालांकि सदन में कांग्रेस के नेता इसके लिए समय मांग रहे थे और सांसद महुआ मोइत्रा को भी अपना पक्ष रखने की दलील दे रहे थे, लेकिन स्पीकर ने कांग्रेसी व टीएमसी के नेताओं की बात नहीं मानी।
सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने और सदन से बे-आबरू होकर बाहर जाने वाले नेताओं की लिस्ट काफी लंबी है। महुआ मोइत्रा के खिलाफ आज सदन ने कैश फॉर क्वेरी के मामले में कार्यवाही करते हुए यह संदेश देने की कोशिश की है कि अगर कोई भी सांसद संसदीय परंपराओं को तोड़ने के साथ-साथ सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।
आपको याद होगा कि 12 दिसंबर 2005 को एक निजी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में कुछ सांसद कैमरे के सामने पैसे लेते हुए और पैसे लेकर सवाल पूछने की डील करते पकड़े गए थे। इस स्टिंग ऑपरेशन के उजागर होने के बाद 11 सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। ये 11 सांसद केवल एक राजनीतिक दल के नहीं थे, बल्कि कई दलों के नेता इसमें शामिल थे। इन सांसदों में भारतीय जनता पार्टी के 6 सांसद, बहुजन समाज पार्टी के तीन सांसद और राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी के एक-एक सांसद शामिल थे।
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से सांसद सुरेश चंदेल, अन्ना साहब पाटिल, चंद्र प्रताप सिंह, छत्रपाल सिंह लोध, वाईजी महाजन और प्रदीप गांधी का नाम आया था, जबकि बहुजन समाज पार्टी की ओर से नरेंद्र कुमार कुशवाहा, राजाराम पाल और लालचंद्र के खिलाफ कार्यवाही की गई थी। वहीं राष्ट्रीय जनता दल की ओर से मनोज कुमार और कांग्रेस की ओर से रामसेवक सिंह के ऊपर गाज गिरी थी।
स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कुछ पत्रकारों ने एक काल्पनिक संस्था के प्रतिनिधि के रूप में इन सांसदों से मुलाकात की। पत्रकारों ने सांसदों को संस्था की ओर से सवाल पूछने का ऑफर दिया और उसके बदले उन्हें पैसे दिए। इस पूरी प्रक्रिया का वर्णन में एक वीडियो बनाया और बाद में एक स्टिंग ऑपरेशन की तरह एक निजी चैनल पर चला दिया गया।
आपको बता दे कि इस पूरे कांड के सामने आने के 12 दिन के भीतर सभी सांसदों पर कार्यवाही करने की प्रक्रिया शुरू की गई और 24 दिसंबर 2005 को इन सभी सांसदों की सदस्यता रद्द करने के लिए संसद में वोटिंग कराई गई, जिसमें सभी पार्टियों के सांसदों के खिलाफ कार्यवाही हुई।
इस दौरान भारतीय जनता पार्टी ने सदन से वॉकआउट किया था। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेता और विपक्ष के नेता के रूप में मौजूद लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सांसदों ने जो कुछ भी किया है, वह बेशक भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है, लेकिन निष्कासन की सजा जरूरत से ज्यादा दी जा रही है।