नई दिल्ली: एक बड़ी खबर के अनुसार लोकसभा ने आचार समिति की उस रिपोर्ट को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही आज वोटिंग के आधार पर ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ मामले में घिरीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता चली गई है।
TMC MP Mahua Moitra expelled from the Lok Sabha in ‘cash for query’ matter.
Ethics Committee report was tabled in the House today. pic.twitter.com/73dSVYFvOb
— ANI (@ANI) December 8, 2023
जी हां, आज ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ मामले में घिरीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म हो गई है। कमेटी की रिपोर्ट के उनके निष्कासन के प्रस्ताव भी पेश हुआ। इसके बाद वोटिंग हुई और उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया। इसके साथ ही लोकसभा में महुआ मोइत्रा को TMC सांसद के रूप में निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।
Opposition stages walk out after Lok Sabha adopts motion to expel Mahua Moitra as TMC MP pic.twitter.com/QwWt2i8s84
— ANI (@ANI) December 8, 2023
आज इस मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने महुआ मोइत्रा को एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी, कहा कि उन्हें पैनल मीटिंग में मौका मिला है। इस पेश की गयी रिपोर्ट में महुआ की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश और कानूनी जांच की मांग की गई थी। इधर, TMC ने मांग की है कि 500 पेज की रिपोर्ट पढ़ने के लिए 48 घंटों का समय दिया जाए।सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई और चार मिनट बाद ही 12 बजे तक के लिए स्थगित हो गई। 12 बजे एथिक्स कमेटी चेयरमैन विजय सोनकर ने रिपोर्ट पेश की।
#WATCH | Ethics Committee report on TMC MP Mahua Moitra | As Opposition MPs demand that Mahua Moitra be allowed to speak in the Lok Sabha, Speaker Om Birla explains that why it cannot be done.
He says, “I have a copy of the traditions that were followed earlier. Former Speakers… pic.twitter.com/y0WZ4lgZrU
— ANI (@ANI) December 8, 2023
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे शुरू होते ही आचार समिति की प्रथम रिपोर्ट को चर्चा के लिए पेश किया, जिस पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि संबंधित रिपोर्ट को पढ़कर चर्चा करने के लिए सदस्यों को कम से कम तीन-चार दिन का समय दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दोपहर 12 बजे के बाद रिपोर्ट पेश हुई और चर्चा दो बजे शुरू कर दी गयी, ऐसे में सदस्यों को 406 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ने का पर्याप्त मौका भी नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत किसी हत्या के मामले के दोषी को भी अपना पक्ष रखने की इजाजत देता है।
हालांकि अध्यक्ष ने तीन-चार दिन बाद चर्चा कराने के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और चर्चा शुरू कराई। कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी ने कहा कि वकालत पेशे में 31 साल के कॅरियर में उन्होंने जल्दबाजी में बहस जरूर की होगी, लेकिन सदन में जितनी जल्दबाजी में उन्हें चर्चा में हिस्सा लेना पड़ रहा है, वैसा कभी उन्होंने नहीं देखा।
तिवारी ने कहा, ‘‘आसमान नहीं टूट पड़ता, यदि हमें तीन चार-दिन दे दिये जाते, ताकि हम (रिपोर्ट) पढ़कर सदन के समक्ष अपनी बात रखते।” उन्होंने सवाल खड़े किये कि क्या आचार समिति किसी के मौलिक अधिकारों का हनन कर सकती है? उन्होंने कहा कि यह कैसी न्याय प्रक्रिया है जिसके तहत अभियुक्त को अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया गया। तिवारी ने कहा, ‘‘समिति ये तो सिफारिश कर सकती है कि कोई व्यक्ति गुनाहगार है या नहीं, लेकिन सजा क्या होगी, इसका फैसला सदन ही कर सकता है। समिति सदस्यता रद्द करने का निर्णय कैसे ले सकती है।”
उन्होंने तीन दलों द्वारा अपने सदस्यों को व्हिप जारी करने पर सवाल खड़े किये और कहा कि सदन की कार्यवाही तत्काल स्थगित करने और व्हिप वापस लेने का आदेश दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में यहां उपस्थित सदस्य न्यायाधीश के रूप में हैं न कि पार्टी सदस्य के रूप में।इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह संसद है न कि अदालत। उन्होंने कहा, ‘‘यह संसद है न कि कोर्ट है। मैं न्यायाधीश नहीं हूं, सभापति हूं…यहां मैं निर्णय नहीं कर रहा, बल्कि सभा निर्णय कर रही है।” तिवारी ने संविधान के अनच्छेद 105(2) के तहत सांसदों को दी गयी विशेष छूट का भी जिक्र किया। लेकिन आखिरकार महुआ मोइत्रा संसद सदस्यता खत्म हो गई।