CHANDRAYAN-3

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नई दिल्ली. चंद्रयान (Chandrayan) मिशन को लेकर मिली बड़ी खबर के अनुसार चंद्रयान-3 (Chandrayan3) का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन आज यानी रविवार सुबह 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ। वहीं इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी मात्र 134 किलोमीटर रह गई है। पता हो कि, ‘डीबूस्टिंग’ में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है।

इस सफलता बाबत ISRO ने ट्वीट कर बताया कि, अब लैंडर की इंटरनल जांच होंगी और सूरज के उगने तक वह लैंडिंग साइट पर इंतजार करेगा। यहीं से ही 23 अगस्त को शाम 5:45 बजे सॉफ्ट लैंडिंग की महत्वपूर्ण कोशिश की जाएगी। वहीं अगर उस दौरान लैंडिंग में कोई भी समस्या आती है तो एक महीने बाद फिर कोशिश करनी होगी क्योंकि चंद्रयान-3 को ऐसे में अगली सुबह का इंतजार करना होगा, जो वहां 28 दिन बाद होगी।

चांद पर प्रज्ञान रोवर बनाएगा अशोक स्तंभ की छाप 

वहीं मामले पर चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम। अन्नादुरई के मुताबिक, आगामी 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के आखिरी 15-20 मिनट सबसे क्रिटिकल साबित होंगे। क्योंकि तब लैंडर को 30 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में तक़रीबन 15 से 20 मिनट लगेंगे।

इसके बाद विक्रम लैंडर से एक स्वचालित रैंप के जरिये 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और ISRO से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलने लगेगा। इस दौरान इसके पहियों के जरिए चांद की मिट्‌टी पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और ISRO के ‘लोगो’ की छाप छोड़ी जाएगी।