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श्रीनगर: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के कुपवाड़ा जिले (Kupwada) में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास (LoC) 41 राष्ट्रीय राइफल्स (मराठा लाइट इन्फैंट्री) में छत्रपति शिवाजी महाराज की एक घुड़सवारी प्रतिमा स्थापित (Chhatrapati Shivaji Maharaj Statue)  की गई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार (7 नवंबर) को इस प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार उपस्थित थे। यह जिला पाकिस्तान से लगा है। 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रतिमा हमेशा बहादुर सुरक्षा बलों को प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के संबंध बहुत पुराने हैं तथा संबंधों को और मजबूत किए जाने की जरूरत है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ” महाराष्ट्र में त्याग और वीरता की महान परंपरा रही है और इसके कई उदाहरण आज तक देखने को मिले हैं। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने विचार व्यक्त किया कि उस परंपरा को मराठी रगों में बसाने वाले शिव छत्रपति की यह प्रतिमा हर सैनिक को सदैव ऊर्जा देने का काम करेगी।”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, “छत्रपति की यह प्रतिमा प्रेरणादायक है। मैं भाग्यशाली था कि मुझे इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने का मौका मिला। विश्वास नहीं हो रहा कि भारत-पाक सीमा पर छत्रपति की घुड़सवारी वाली प्रतिमा स्थापित की गई है।” उन्होंने कहा, “आम लोगों के लिए लाल चौक जाना मुश्किल था। प्रधानमंत्री ने वहां तिरंगा फहराया है. महाराष्ट्र और कश्मीर का रिश्ता पुराना है. महाराष्ट्र के कई संगठन कश्मीर में काम कर रहे हैं, उनका योगदान बहुत बड़ा है।”

Eknath shinde Jammu kashmir 2

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने कहा कि यह एक एतिहासिक पहल है और उन्होंने ‘आम्ही पुणेकर’ एवं भारतीय सेना की 41 राष्ट्रीय राइफल्स को इस मौके पर शुभकामनाएं दीं। सिन्हा ने जोर देते हुए कहा कि महान शिवाजी की यह प्रतिमा लोगों और सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत होगी। सिन्हा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ”महान योद्धा और स्वराज के संस्थापक शिवाजी नैतिकता के उच्च मूल्यों और अच्छे आचरण के प्रतीक होने के साथ-साथ सभी धर्मों व संप्रदाय का सम्मान करने वाले व्यक्ति थे। बचपन से ही प्रतिभा के धनी शिवाजी ने शत्रुओं के खिलाफ अपनी यादगार जीतों से भारत के नए इतिहास की इबारत लिखी।” 

उपराज्यपाल ने कहा, ”अपने सैन्य कौशल और नैतिक बल के जरिए शिवाजी ने लाखों भारतीयों को संगठित किया और मराठा साम्राज्य के लिए संप्रभुता हासिल की। उनके सार्वभौमिक और शाश्वत मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं और हमें सामाजिक समानता व शांतिपूर्ण माहौल को बनाए रखने का मार्गदर्शन कर रहे हैं।”