500 lawyers including Harish Salve write a letter to CJI DY Chandrachud know the reason
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़

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नयी दिल्ली: भारत (India) के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI D.Y Chandrachud) ने शुक्रवार को वकीलों से नए मामलों में स्थगन का अनुरोध नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि वह नहीं चाहते कि उच्चतम न्यायालय ‘तारीख-पे-तारीख’ अदालत बन जाए। दिन की कार्यवाही के आरंभ में प्रधान न्यायाधीश ने नए मामलों में वकीलों द्वारा स्थगन के अनुरोध का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पिछले दो महीने में वकीलों ने 3,688 मामलों में स्थगन का अनुरोध किया।

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक अत्यंत जरूरी नहीं हो, तब तक कृपया स्थगन का अनुरोध नहीं करें…। मैं नहीं चाहता कि यह अदालत ‘तारीख-पे-तारीख’ अदालत बन जाए।” ‘तारीख-पे-तारीख’ हिंदी फिल्म ‘दामिनी’ (Damini) में सनी देओल (Sunny Deol) का लोकप्रिय संवाद था जिसमें अभिनेता ने फिल्म के एक दृश्य में अदालतों में स्थगन की संस्कृति पर रोष प्रकट किया था।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अब वकीलों की संस्थाओं की मदद से शीर्ष अदालत में मामला दायर होने के बाद नए मामलों को सूचीबद्ध करने में समय का अंतर काफी कम हो गया है। उन्होंने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि पीठ के समक्ष मामले सूचीबद्ध होने के बाद वकील स्थगन का अनुरोध करते हैं और यह बाहरी दुनिया के लिए बहुत खराब संकेत देता है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं देख पा रहा हूं कि मामला दायर होने की अवधि से इसके सूचीबद्ध होने का समय घट रहा है। यह सब हम एससीबीए (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और एससीएओआरए (सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन) के सहयोग के बिना हासिल नहीं कर सकते थे।” उन्होंने यह भी कहा कि स्थगन मामले की शीघ्रतापूर्वक सुनवाई के उद्देश्य को प्रभावित करता है। (एजेंसी)