नयी दिल्ली. नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रख्यात अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि कोरोना संकट की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए देश की आबादी के एक बड़े हिस्से के हाथों में पैसे पहुंचाने होंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद के दौरान बनर्जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत सरकार को अमेरिका एवं कुछ अन्य देशों की तरह बड़ा प्रोत्साहन पैकेज देना होगा ताकि लोगों के हाथ में पैसे जाएं और बाजार में मांग बढ़ सके।
A conversation with Nobel Laureate, Abhijit Banerjee on the economic impact of the COVID19 crisis. https://t.co/dUrok8Wm3Q
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 5, 2020
गांधी ने पूछा कि क्या ‘न्याय’ की योजना की तर्ज पर लोगों को पैसे दिए जा सकते हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर।” साथ ही उन्होंने यह कहा कि अगर हम निचले तबके की 60 फीसदी आबादी के हाथों में कुछ पैसे देते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। यह एक तरह का प्रोत्साहन होगा। दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव के समय तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 25 मार्च को ‘न्याय’ का वादा किया था। इसके तहत देश के करीब पांच करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये देने का वादा किया गया था। बनर्जी ने यह भी कहा कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं उन्हें कम से कम तीन महीने के लिए अस्थायी राशन कार्ड जारी किए जाएं ताकि उन्हें अनाज मिल सके। गांधी के एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि जरूरतमंद तक पैसे पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों की मदद ली जा सकती है।
There’re 2 concerns,one is how to avoid chain of bankruptcies,may be writing off lot of debts…Second is demand shortfall,&getting some cash into hands of people is the best way to kick start the economy: Nobel Laureate Prof. Abhijit Banerjee during interaction with Rahul Gandhi pic.twitter.com/pOVmMukiwO
— ANI (@ANI) May 5, 2020
उन्होंने अमेरिका और ब्राजील के राष्ट्रपतियों का हवाला देते हुए कहा कि यह गलत धारणा है कि ऐसे संकट के समय ‘मजबूत व्यक्ति’ स्थिति से निपट सकता है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने दिनों भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के साथ इसी तरह का संवाद किया था। इस संवाद में राजन ने, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन को सावधानीपूर्वक खत्म करने की पैरवी करते हुए कहा था कि गरीबों की मदद के लिए सीधे उनके खाते में पैसे भेजे जाएं और इस पर करीब 65 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।(एजेंसी)