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नई दिल्ली: जहां आज यानी 14 मार्च को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind)) की अध्यक्षता वाली एक उच्च-स्तरीय समिति ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की तथा इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की को सिफारिश की। यह रिपोर्ट दो सितंबर 2023 को समिति गठन के बाद से हितधारकों, विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श और 191 दिनों के शोध कार्य के बाद तैयार की गई है। 

वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Murmu) को सौंपी गई 18000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट में कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने कहा है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी और “इंडिया जो कि भारत है” की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

एक साथ हों लोकसभा और विधानसभा चुनाव

इसके साथ ही समिति  ने सुझाव दिया है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए और इसके पूरा होने के 100 दिन के भीतर नगर पालिका और पंचायत चुनाव कराए जाने चाहिए। समिति ने सिफारिश की है कि भारत निर्वाचन आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करे। समिति ने कई संवैधानिक संशोधन की सिफारिश की है जिनमें से ज्यादातर के लिए राज्यों के अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी।  

समझें चुनाव में 100 दिनों का गणित 

समिति ने अपनी इस अतिमहत्वपूर्ण रिपोर्ट में कहा कि, पहले चरण में एक साथ लोकसभा और विधानसभा करवाए जाएं। दूसरे चरण में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और पंचायत के चुनाव करवाए जाएं। इस प्रक्रिया को इस तरह से एकतार में जोड़ा जाए कि, लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होने के 100 दिन के अंदर ही नगर निकाय और पंचायत के चुनाव भी हो जाएं।

राज्य सरकार गिर जाए तो क्या

रिपोर्ट के अनुसार इसी बीच में कोई राज्य सरकार गिर जाए तो कमेटी की सिफारिश है कि, त्रिशंकु सदन की स्थिति में एक अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए। ऐसी स्थिति में फिर नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं तो ऐसी नई विधानसभा तब तक जल्दी भंग ना की जाए, जब तक उस लोकसभा का कार्यकाल खत्म नहीं हो जाता।

हालांकि वर्तमान परिदृश्य में, भारत निर्वाचन आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए जिम्मेदार है, जबकि नगर निकायों और पंचायतों के चुनावों का प्रबंधन राज्य चुनाव आयोगों द्वारा किया जाता है। वहीं कोविंद ने आज जब राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपी उस वक्त उनके साथ समिति के सदस्य गृह मंत्री अमित शाह, वित्त आयोग के पूर्व प्रमुख एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आज़ाद और विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल थे।