Jignesh Mevani
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    कोच्चि. गुजरात (Gujarat) के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh Mevani) ने उम्मीद जताई है कि कांग्रेस पश्चिमी राज्य में इस साल के अंत में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किसी भी चेहरे को पेश नहीं करेगी और वहां एक ‘संयुक्त नेतृत्व’ सत्तारूढ़ भाजपा को टक्कर देगा। दलित नेता मेवानी आधिकारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन वह पार्टी के साथ निकटता से काम कर रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि गुजरात में अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो पार्टी को सरकार का नेतृत्व करने के लिए जन आंदोलन से उभरने वाले चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। केरल की थ्रीक्काकारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार के प्रचार के लिए कोच्चि पहुंचे मेवानी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में स्पष्ट किया कि वह गुजरात में शीर्ष पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनाव में किसी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करेगी, उन्होंने कहा, “नहीं नहीं… हम संयुक्त नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे।”

    2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से बनासकांठा जिले की वडगाम सीट पर जीत दर्ज करने वाले मेवानी ने कहा, “यह लोगों का आंदोलन है, जिससे चेहरे निकलते हैं। लिहाजा, कांग्रेस पार्टी या फिर किसी अन्य राजनीतिक दल को उन चेहरों की जरूरत होती है, जो जन आंदोलन में उभरकर सामने आते हैं।” यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री पद की पेशकश किए जाने पर वह यह भूमिका निभाने को तैयार हैं, मेवानी ने कहा, “नहीं नहीं… मैं इस दौड़ में नहीं हूं।”

    उन्होंने दावा किया कि पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल के कांग्रेस से इस्तीफा देने से पार्टी पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “ज्यादा नहीं… अस्थायी झटका और मीडिया का थोड़ा-सा ध्यान। लेकिन इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।” राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक मेवानी ने दावा किया कि कांग्रेस के पास ‘गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने का एक अच्छा मौका है, क्योंकि लोग भाजपा से वास्तव में परेशान हैं।’

    उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के शासन में अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई है, महंगाई बढ़ी है, बेरोजगारी दर में वृद्धि दर्ज की गई है और राज्य के लोगों का सांप्रदायिक स्तर पर विभाजन हुआ है। मेवानी ने दावा किया, “गुजरात के लोग हालात से वाकिफ हैं। और कोविड-19 महामारी के दौरान गुजरात सरकार का प्रदर्शन बेहद खराब था। उन्हें मुख्यमंत्री ही नहीं, पूरे मंत्रिमंडल को बदलना पड़ा। जनता में आक्रोश है। लोग भाजपा से वाकई परेशान हैं।”

    भाजपा सरकार द्वारा राज्य में आदिवासियों और समाज के अन्य सभी वर्गों को प्रभावित करने वाली परियोजनाओं को लागू करने की कोशिश के दौरान कांग्रेस की ओर से किए गए विरोध-प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए मेवानी ने कहा, “चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस गुजरात में अपने संगठन का आधार बढ़ाने के लिए अधिक ईमानदारी के साथ काम कर रही है।”

    दलित नेता ने कहा कि जब असम पुलिस ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट करने के लिए गिरफ्तार किया था, तब हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे और जब कांग्रेस पार्टी ने इस तरह के मुद्दे उठाए हैं तो ‘हमारे पक्ष में कुछ हवा जरूर बनेगी।’ उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में कुछ लोग कांग्रेस में शामिल होंगे।

    मेवानी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार उन्हें इसलिए निशाना बना रही है, क्योंकि वह उनकी विश्वसनीयता और लोकप्रियता को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा, “मेरी विश्वसनीयता का स्तर काफी ऊंचा है, लोगों को मुझ पर भरोसा है। जब मुझे गिरफ्तार किया गया था तो लोगों ने हर जगह प्रदर्शन किया था। अब कांग्रेस पार्टी मेरे साथ है, राहुल गांधी मेरे साथ हैं। मैं उनके (भाजपा) लिए एक बड़ा वैचारिक खतरा साबित हो सकता हूं।”

    मेवानी ने कहा, “और दूसरी बात, उन्हें यह गलतफहमी थी कि वे कुछ भी कर सकते हैं। उन्हें लोगों की सोच की परवाह नहीं है, उन्हें संविधान की परवाह नहीं है, उन्हें कानून के शासन की परवाह नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया, “जब से मैं मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ बोल रहा हूं… वे मुझे सबक सिखाना चाहते हैं। वे मुझे चुप कराना चाहते हैं। यह बदले की राजनीति है।”