नई दिल्ली. चीन और पकिस्तान (China-Pakistan)) के नापाक मंसूबों पर नजर रखने के लिए अब भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने अपने नवीनतम हेरॉन मार्क 2 ड्रोन (Heron Mark2 drones) को अपने जासूसी बेड़े में शामिल किया है। यह ख़ास ड्रोन बेहतरीन मारक क्षमता के साथ साथ सीमाओं पर सघन निगरानी भी रखेगा। इतना ही नहीं यह अपनी एक ही सॉर्टी में चीन और पाकिस्तान दोनों पर ही नजर के साथ साथ अपनी मारक क्षमता के दर्शन करा सकता है। फिलहाल इसे उत्तरी क्षेत्र में एक फॉरवर्ड एयर बेस पर तैनात किया गया है।
दरअसल भारतीय वायु सेना (Indian Airforce) अब मेक इन इंडिया के तहत अपने प्रोजेक्ट चीता को आगे बढ़ाने की बड़ी योजना बना रही है। इसके लिए भारतीय रक्षा निर्माता इजरायली हेरॉन ड्रोन (Heron Drone) को बेहतरीन और बेजोड़ स्ट्राइक क्षमताओं से लैस करेंगे। भारतीय वायु सेना के नए शामिल किए गए हेरॉन मार्क 2 ड्रोन उत्तरी क्षेत्र में एक फॉरवर्ड एयर बेस से फिलहाल संचालित हो रहे हैं। लंबे समय तक चलने वाले ड्रोन एक ही उड़ान में पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ पूरी सीमाओं को कवर करने की शानदार क्षमता रखते हैं।
#WATCH | The squadron operating the Heron Mark2 drones is known as the ‘Warden of the North’ and has been carrying out surveillance missions along with borders with both China and Pakistan. The drones have been equipped with satellite communication links and are the most advanced… pic.twitter.com/hPingSKHoK
— ANI (@ANI) August 13, 2023
क्या हैं हेरॉन मार्क 2 ड्रोन की खासियतें
- यह लगातार लंबी दूरी पर लगभग 36 घंटों तक काम कर सकता है।
- फाइटर प्लेन को मदद के लिए लंबी दूरी से दुश्मन के लक्ष्यों को लेजर से रोशन कर सकता है।
- पूरे देश की एक ही जगह से निगरानी की जा सकती है।
- आधुनिक एवियोनिक्स और इंजनों से सुसज्जित है।
- किसी भी मौसम और दुर्गम इलाके में भी काम कर सकता है
- ड्रोन विभिन्न प्रकार के हथियारों से लैस हो सकते हैं।
- एयर मिसाइल और विभिन्न प्रकार के एंटी टैंक हथियारों से लैस हो सकते हैं।
जानकारी दें कि, हेरॉन मार्क 2 ड्रोन का संचालन करने वाले स्क्वाड्रन को ‘वार्डन ऑफ द नॉर्थ’ के रूप में भी जाना जाता है और यह चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ सीमाओं पर फिलहाल निगरानी मिशन चला रहा है। ड्रोन उपग्रह संचार लिंक से सुसज्जित हैं और भारतीय सशस्त्र बलों में यह सबसे उन्नत ड्रोन हैं।
भारतीय सशस्त्र बलों को अन्य 31 प्रीडेटर ड्रोन भी मिल रहे हैं, जो उच्च ऊंचाई, लंबी सहनशक्ति श्रेणी में हैं और वर्तमान में नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र के बड़े इलाकों को कवर करने में मदद कर रहे हैं। अब भारत को ड्रोन का एक ऐसा संस्करण मिल रहा है जो हथियारों से लैस हो सकता है और इसमें विभिन्न इलाकों में विभिन्न भूमिकाओं के लिए अनेकों सेंसर होंगे। इनमें से पंद्रह ड्रोन भारतीय नौसेना द्वारा संचालित किए जाने हैं, जबकि अन्य दो बलों को आठ-आठ ख़ास ड्रोन मिलेंगे।