पीटीआई फोटो
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     नई दिल्ली: भारत ने भोजन की कमी से जूझ रहे अफगान लोगों को अपनी मानवीय सहायता के तहत बृहस्पतिवार को 2,000 मीट्रिक टन गेहूं की दूसरी खेप पाकिस्तानी जमीनी मार्ग से अफगानिस्तान भेजी। भारत ने 2500 मीट्रिक टन गेहूं की पहली खेप 22 फरवरी को पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान भेजी थी और यह 26 फरवरी को अफगान शहर जलालाबाद पहुंची थी। उक्त खेप को पचास ट्रकों ने ढोया था।

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, ‘‘2000 मीट्रिक टन गेहूं लेकर भारत की मानवीय सहायता का दूसरा काफिला आज अटारी, अमृतसर से जलालाबाद, अफगानिस्तान के लिए रवाना हुआ।” उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत की अफगान लोगों के लिए 50,000 मीट्रिक टन गेहूं की प्रतिबद्धता का हिस्सा है और डब्ल्यूएफपी (विश्व खाद्य कार्यक्रम) अफगानिस्तान द्वारा वितरित किया जाएगा।” भारत ने 7 अक्टूबर को पाकिस्तान को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान के लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए पारगमन सुविधा का अनुरोध किया गया था और 24 नवंबर को इस्लामाबाद से एक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।

    पाकिस्तानी प्रतिक्रिया के बाद, दोनों पक्ष खेप के परिवहन के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए संपर्क में थे। प्रत्येक बोरे पर अंग्रेजी, पश्तो और दारी में ‘‘भारत के लोगों की ओर से अफगानिस्तान के लोगों को उपहार” लिखा है। 12 फरवरी को, भारत सरकार ने अफगानिस्तान के भीतर गेहूं के वितरण के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किए थे।

    भारत पहले ही अफगानिस्तान को कोवैक्सीन टीकों की 5,00,000 खुराक और 13 टन आवश्यक जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति कर चुका है। अफगानिस्तान के समक्ष उत्पन्न मानवीय संकट से निपटने के लिए भारत अफगानिस्तान को निर्बाध मानवीय सहायता प्रदान करने पर जोर देता रहा है।

    भारत ने अफगानिस्तान में नए शासन को मान्यता नहीं दी है और काबुल में वास्तविक समावेशी सरकार के गठन पर जोर दे रहा है। साथ ही भारत ने इस बात पर भी जोर दिया है कि किसी भी देश के खिलाफ किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। (एजेंसी)