
नई दिल्ली: पूरी दुनिया में भारत का नाम चंद्रयान 3 ने और भी ऊंचा किया है। ऐसे में अब आपको बता दें की और भी कई नए आयामों को पाने के लिए चंद्रयान 3 की सफल लॉन्चिंग के बाद भारत अब समुद्र में अपने मिशन की तैयारी में जुट गया है। जी हां जानकारी सामने आई है कि इंसानों को सबमर्सिबल की मदद से समुद्र के नीचे 6000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए समुद्रयान प्रोजेक्ट की तैयारी चल रही है। आइए जानते है पूरी खबर…
जैसे चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चांद की साथ पर पहुंच कर उस परिस्थिति का अभ्यास करना है उसी तरह समुद्रयान का भी एक मुख्य उद्देश्य है। बता दें कि समुद्रयान के इस अभियान की सफलता से न केवल समुद्री संपदा का पता लगाने का अवसर मिलेगा, बल्कि इससे समुद्री पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलने की संभावना है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू ने यह जानकारी दी है और सोशल मीडिया एक्स पर इससे जुड़ा पोस्ट किया है।
Next is “Samudrayaan”
This is ‘MATSYA 6000’ submersible under construction at National Institute of Ocean Technology at Chennai. India’s first manned Deep Ocean Mission ‘Samudrayaan’ plans to send 3 humans in 6-km ocean depth in a submersible, to study the deep sea resources and… pic.twitter.com/aHuR56esi7— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 11, 2023
क्या है ‘समुद्रयान’ मिशन
जैसा की हमने आपको कि इस मिशन को ‘समद्रुयान मिशन’ नाम दिया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक लोगों को समुद्र की गहराई तक ले जाने वाली सबमर्सिबल की जांच 2024 में पूरी हो जाएगी। जानिए विस्तार यहां से.. <
This is ‘MATSYA 6000’ submersible under construction at National Institute of Ocean Technology at Chennai. India’s first manned Deep Ocean Mission ‘Samudrayaan’ plans to send 3 humans in 6-km ocean depth in a submersible, to study the deep sea resources and biodiversity… pic.twitter.com/SjGWQ0A1Qm
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) August 4, 2023
आपको समुद्र की गहराई में दिखेंगे…
रिजिजू ने अपने पोस्ट में यही कहा है कि ”इस अभियान की सफलता से न केवल समुद्री संपदा का पता लगाने का अवसर मिलेगा, बल्कि इससे समुद्री पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलने की संभावना है। मानवयुक्त पनडुब्बी के साथ समुद्र के नीचे 6 किमी की गहराई तक जाने का मतलब है कि मनुष्य अपनी आंखों से कोबाल्ट, दुर्लभ पृथ्वी तत्व, मैंगनीज आदि जैसे खनिजों को देख सकेंगे। उनके अलग-अलग नमूने एकत्र करने के बाद उनका उपयोग विश्लेषण के लिए भी किया जा सकता है। सबमर्सिबल ‘मत्स्य 6000’ की सामान्य परिचालन क्षमता 12 घंटे होगी, लेकिन आपातकालीन स्थिति में इसे 96 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। इस अभियान का इको-सिस्टम पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इसका एक ही उद्देश्य है।