Lucky Leaders for 2023

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नवभारत डेस्क: साल 2023 बीतने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। यह साल जाने माने राजनेताओं, खिलाड़ियों और बिजनेसमैन समेत अन्य लोगों के लिए अनोखा रहा। कइयों को उनकी मनचाही मुराद मिली तो कइयों को निराशा हाथ लगी। आज हम उन राजनेताओं की बात करेंगे जिनके लिए यह साल बेहद खास और यादगार रहा। इनमें से कोई मुख्यमंत्री बना, तो कोई उप-मुख्यमंत्री बना। तो वहीं, किसी को पार्टी की कमान मिली, तो किसी को चुनावों में ज़बरदस्त फायदा हुआ। आइए जानते हैं 2023 का साल किन नेताओं के लिए भाग्यशाली रहा।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) के लिए यह साल भाग्यशाली और बेहद खास रहा। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आदिवासी समाज के साय को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बना दिया। राज्य की कुल 90 विधानसभा सीट में से भाजपा ने 54 सीटों पर जीत दर्ज की। विष्णु देव साय कुनकुरी विधानसभा सीट पर कुल 87,604 वोटों से जीत हासिल की। साय अजीत जोगी के बाद मुख्यमंत्री बनने वाले वाले दूसरे आदिवासी नेता हैं। साय चार बार सांसद, दो बार विधायक रह चुके हैं। वह पहले मोदी मंत्रालय में इस्पात, खान और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री थे। उन्होंने 2020 से 2022 तक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है।

MP CM Mohan Yadav
मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री मोहन यादव

मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री मोहन यादव

मध्य प्रदेश में प्रचंड जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री पद के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले मोहन यादव के नाम की घोषणा करते हुए सबको चौंका दिया। यादव 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण की सीट से विधायक बने थे। 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर निर्वाचित हुए और उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने। इससे पहले 2 जुलाई, 2020 को उन्होंने शिवराज सिंह चौहान सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। यादव ने 2023 के चुनाव में 13,000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की। मोहन यादव ने BSC, LLB, MA, MBA और PhD समेत कई शैक्षणिक डिग्रियां हासिल की है। उनका राजनीतिक करियर 1982 में शुरू हुआ, जब वह माधव साइंस कॉलेज छात्र संघ के सह-सचिव बने। इसके बाद वह 1984 में अध्यक्ष बने। 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) उज्जैन के नगर मंत्री और 1986 में विभाग प्रमुख के रूप में भी काम किया। 1988 में वे ABVP, मध्य प्रदेश के प्रदेश सह-मंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। इसके बाद 1989 से 1990 तक परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री भी रहे। 1991-92 में वे परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रहे।

bhajan lal sharma
राजस्थान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

राजस्थान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

राजस्थान में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सबको चौंका दिया। पार्टी ने राज्य के कई बड़े नेताओं को दरकिनार करते हुए भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया। भजनलाल भाजपा के प्रदेश महासचिव हैं। उनके पास राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े शर्मा जयपुर की सांगानेर सीट से पहली बार विधायक चुने गए। शर्मा (56) ने जयपुर की सांगानेर सीट 48,081 वोटों के अंतर से जीती है। वह भरतपुर जिले के रहने वाले हैं।

Lalduhawma
मिज़ोरम मुख्यमंत्री लालदुहोमा

मिज़ोरम मुख्यमंत्री लालदुहोमा

ज़ोरम नेशनलिस्ट पार्टी के संस्थापक, अध्यक्ष और लालदुहोमा के लिए यह साल खास रहा। इस साल वह मिज़ोरम के मुख्यमंत्री बने। विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 40 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज की। लालदुहोमा लालदुहोमा एक पूर्व IPS अधिकारी रह चुके हैं। हाई प्रोफाइल ऑफिसर होने के साथ वो पूर्व PM इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी भी संभाल चुके हैं। जब राहुल गांधी की संसद सदस्यता गई थी तो लालदुहोमा एक बार फिर राजनीतिक पटल की चर्चा में आ गए थे। लालदुहोमा ने साल 1984 में मिजोरम से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सीट जीती थी। लेकिन फिर उनका सूबे के कांग्रेस नेताओं से मतभेद हो गया और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। वे 1988 में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले लोकसभा सांसद भी बने। फिर साल 2018 में लालदुहोमा ने आइजोल पश्चिम- I और सेरछिप से निर्दलीय चुनाव जीता।

Anumula Revanth Reddy
तेलंगाना मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी

तेलंगाना मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी

कांग्रेस नेता अनुमुला रेवंत रेड्डी के लिए यह 2023 का कभी न भूलने वाला रहेगा। कांग्रेस ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव में 119 में से 64 सीटों पर जीत दर्ज कर के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को सत्ता से बाहर कर दिया। इसमें सबसे बड़ा योगदान रेवंत रेड्डी का रहा। जिसके चलते कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया। रेड्डी ने राजनीति की शुरुआत एबीवीपी से की। 2007 में रेवंत रेड्डी को एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य के रूप में चुना गया था। बाद में वे चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) में शामिल हो गए। 2009 में वे उन्होंने आंध्र प्रदेश के कोडांगल से टीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। 2014 में वो तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता चुने गए। 2017 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से जीत हासिल की। इसके बाद 2021 में कांग्रेस ने उन्हें तेलंगाना कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।

Siddaramaiah
कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्दारमैया

कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्दारमैया

कांग्रेस के कद्दावर नेता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के लिए यह साल यादगार रहा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद पार्टी आलाकमान ने सिद्दारमैया को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाया। सिद्दारमैया ने इस चुनाव में वरुणा विधानसभा सीट से 46,163 वोटों से जीत दर्ज की।सिद्दारमैया के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक है। सिद्धारमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री ली और बाद में वहीं से कानून की पढ़ाई की। राजनीति में आने से पहले सिद्धारमैया वकालत करते थे। उन्होंने 1983 चामुंडेश्वरी निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़कर पहली बार कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश किया। वह इस निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार जीते। 1992 में सिद्धारमैया जनता दल के महासचिव बने। 1994 में वे देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जनता दल सरकार में वित्त मंत्री बने और बाद में 1996 में उपमुख्यमंत्री बने। हालांकि, उन्हें 1999 में मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया जिसके बाद वे जनता दल (सेक्युलर) में शामिल हो गए। 2004 से लेकर 2005 तक कांग्रेस और जेडी (एस) की गठबंधन सरकार में वह दोबारा उपमुख्यमंत्री बने। हालांकि, 2005 में देवगौड़ा के साथ मतभेदों के बाद उन्हें जेडी (एस) से निकाल दिया गया। इसके बाद वह साल 2006 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 2013 से 2018 तक उन्होंने कर्णाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया।

Ajit Pawar
महाराष्ट्र उप-मुख्यमंत्री अजित पवार

महाराष्ट्र उप-मुख्यमंत्री अजित पवार

महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस (रांकापा) प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार के लिए साल 2023 काफी खास रहा। दरअसल, इस साल 2 जुलाई को अपने चाचा के खिलाफ बगावत करते हुए अजित पवार और आठ अन्य NCP विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में शामिल हो गए, जिससे पार्टी में विभाजन हो गया। इसके बाद अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। जबकि, छगन भुजबल और हसन मुशरिफ समेत अन्य विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। अजित पवार ने बाद में 40 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को पार्टी अध्यक्ष भी घोषित कर दिया है। इस गुट के वर्तमान में महाराष्ट्र से 41 विधायक, नागालैंड से 7 विधायक और भारतीय संसद में 2 सांसद हैं। फिलहाल, अजित पवार गुट और शरद पवार गुट के बीच पार्टी के नाम और निशान को लेकर घमासान जारी है।

मायावती के उत्‍तराधिकारी आकाश आनंद

मायावती के उत्‍तराधिकारी आकाश आनंद

आकाश आनंद के लिए यह साल भाग्यशाली रहा। दरअसल, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे यानी छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को अपनी विरासत सौंप दी। मायावती ने आकाश को अपना उत्‍तराधिकारी बनाया है। ऐसे में अब पार्टी की बागडोर आकाश के हाथ में होगी। आकाश ने हाल में मध्‍य प्रदेश, तेलंगाना, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान बड़ी जिम्‍मेदारी दी गई थी। उन्होंने इस दौरान काफी मेहनत की। आकाश ने गुरुग्राम से स्‍कूली पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई लंदन में की। वह लंदन से मास्‍टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्‍ट्रेशन (MBA) कर चुके हैं। वह 2017 से पार्टी में सक्रिय हैं। फिलहाल वह पार्टी नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं।