निर्भया मामला: कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों की फांसी पर शुरू सुनवाई खत्म होगई है. कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. बतादे कि, गृहमंत्रालय की याचिका पर जस्टिस सुरेश कैत सुनवाई कर रहे थे.

Loading

नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ़ केंद्रीय गृहमंत्रालय की याचिका पर रविवार को सुनवाई करते हुए अपना कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस सुरेश कैत की बेंच में करीब साढ़े तीन घंटे से ज्यादा वक़्त तक बहस हुई. जिसपर कोर्ट ने कहा कि अदालत सभी पक्षों द्वारा अपनी दलीलें पूरी किए जाने के बाद आदेश पारित करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि, " दोषी कानून के तहत मिली सजा के अमल में विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं "

बतादे कि, हाईकोर्ट ने निर्भया के दोषियों में से एक मुकेश की याचिका पर सुनवाई करते हुए फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी. जिसके विरोध में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट ने तुरंत दोषियों को फांसी देने की मांग की है. 

इसके पहले बहस के दौरान आरोपियों में से एक मुकेश के वकील रेबेका जॉन ने कहा, " केंद्र कल क्यों जागा है, इससे पहले क्यों कुछ नहीं किया? मुकेश द्वारा कानूनी उपायों का उपयोग करने की आप निंदा नहीं कर सकते हैं। संविधान उसे अपने जीवन की अंतिम सांस तक उन विकल्पों का प्रयोग करने की अनुमति देता है।" उन्होंने बहस के दौरान आगे कहा कि," मुकेश एक भयानक व्यक्ति है, उसने बहुत ही भयानक अपराध किया है। लेकिन वह अभी भी अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षण का हकदार है।"

इसके पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस में कहा, "अधिकार क्षेत्र हमेशा व्यक्तिगत होता है। राष्ट्रपति परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दोषी के प्रति दया दिखा सकते हैं। यह अन्य दोषियों पर कैसे लागू होगा?" उन्होंने कहा कि, " कानून के अनुसार फांसी के 14 दिन पहले दोषियों को नोटिस देना होता है। इस मामले में 13वें दिन एक दोषी याचिका दायर करता है और फांसी पर रोक लगाने के लिए कहता है। वे सभी मिलकर काम कर रहे हैं।"

कोर्ट द्वारा फांसी पर रोक को रद्द करने की मांग करते हुए तुषार मेहता ने कहा, " देश में प्रत्येक अपराधी न्यायिक प्रणाली को हराने का आनंद ले रहा है."

गौरतलब है कि, २०१२ को दिल्ली में निर्भया बलात्कार के मामले पर फांसी की सज़ा सुनाई थी. जिसको दोषियों नेसजा के खिलाफ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसपर कोर्ट ने इनकी याचिका ख़ारिज करते हुए डेथ वारंट जारी कर किया था. जिसके अनुसार २२ जनवरी को फांसी देने की तारिक तय की गई थी. वही दोषियों में से एक मुकेश ने राष्ट्रपति के सामने अपनी दया याचिका दायर की थी जिसको राष्ट्रपति ने ख़ारिज कर दिया था. जीके बाद कोर्ट ने पुन्हा नया डेथ वारंट जारी करते हुए फांसी देने के लिए १ फरवरी की तारिक तय की थी.