31 अक्टूबर को है ,’सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती’, जानिए भारत के ‘लौह पुरुष’ के 10 अनमोल विचार

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सीमा कुमारी

नवभारत डिजिटल टीम: आज 31 अक्टूबर को पूरे देश भर में आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की 148 वीं जयंती मनाई जा रही है। स्वतंत्र भारत के महान दूरदर्शी राजनेता-प्रशासक होने के साथ-साथ वे प्रतिष्ठित वकील, बैरिस्टर तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के   वरिष्ठ नेता भी थे। पटेल उन कुछेक महान नेताओं व स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है।

जिनके न सिर्फ आजादी से पहले बल्कि आजादी के बाद के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही कारण भी है कि वल्लभभाई पटेल की जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के दिवस के रूप हर साल मनाया जाता है। आइए जानें सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनमोल विचार, जो एकता की पढ़ाते हैं पाठ।

सरदार पटेल के 10 विचार

1. “शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।”

2. “ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, उनके साथ अक्सर मैं हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।”

3. ” यहाँ तक कि यदि हम हज़ारों की दौलत गवां दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।”

4. “मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।”

5. “आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।”

6. “इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।”

7. “जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती।”

8. “काम करने में तो मजा ही तब आता है, जब उसमे मुसीबत होती है मुसीबत में काम करना बहादुरों का काम है मर्दों का काम है कायर तो मुसीबतों से डरते हैं लेकिन हम कायर नहीं हैं, हमें मुसीबतों से डरना नहीं चाहिये।”

9. एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जब तक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।  

10. “यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है। हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है। उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं।”