Baba Ramdev
File Photo : PTI

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    योग और आयुर्वेद का महत्व भला कौन नहीं जानता। आज के आधुनिक युग में जहां पूरी दुनिया एलोपैथ पर जीने को मजबूर है, वहां योग और आयुर्वेद किसी भी बीमारी को जड़ी बूटियों और योगासन से ठीक करने की एक पुरानी परंपरा महान ऋषियों के युग से चली आ रही है। कलयुग में भारत की इस बहुमूल्य धरोहरों को पूरी दुनिया में फ़ैलाने और योग के महत्व को पूरी दुनिया में फ़ैलाने का श्रेया किसी को दिया जाता है तो वह है बाबा रामदेव। रामदेव ने अपने कार्यक्रमों और शिविर के माध्यम से भारत और विश्व की जनता को योग और प्राणायाम को अपनाने की मुहिम चलाई है, जिसका परिणाम यह हुआ हुआ की आज योग दुनिया भर के लोगों के जीवन का  महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। 

    रामदेव ने न केवल दुनिया को योग का महत्व समझाया है, बल्कि आयुर्वेदिक और उससे बने प्रोडक्ट्स को लोगों तक पहुंचाया। लोगों का आयुर्वेद पर फिर से विश्वास जागने लगा है, इसका पूरा श्रेय स्वामी रामदेव को जाता है।

    रामदेव का जीवन परिचय 

    26 दिसंबर 1965 को हरियाणा के नांगल चौधरी कस्बा महेंद्रगढ़ जिले में रामनिवास यादव के घर एक बच्चे का जन्म हुआ था, जिसका नाम उन्होंने रामकृष्ण यादव रखा। रामकृष्ण की माता का नाम गुलाबो देवी था। रामकृष्ण बचपन से ही बहुत मेहनती थे और खेलकूद में हमेशा आगे रहते थे। जैसे ही उन्होंने सन्यासी जीवन में प्रवेश लिया उन्होंने अपना नाम रामकृष्ण से बदलकर स्वामी रामदेव रख लिया।

    बाबा रामदेव को बचपन से ही धार्मिक चीजों में बहुत रुचि थी। जब वह छोटे थे तब अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में काफ़ी शक्तिशाली और होशियार थे। जहां दूसरे बच्चे सिर्फ खेल कूद में व्यस्त रहते वहीं रामकृष्ण अपनी जिज्ञासाओं को सुलझाने में लगे रहते।

    बाबा रामदेव का जीवन और शिक्षा 

    मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने के कारण बाबा रामदेव जी का शुरुआती जीवन बहुत ही साधारण रूप से गुज़रा। आर्थिक रूप से उनका परिवार अपनी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम था। स्वामी रामदेव की प्रारंभिक शिक्षा सैयदपुर के नजदीक गांव सहजादपुर के सरकारी स्कूल में आठवीं तक हुई है। इसके बाद उन्होंने खानपुर गांव के एक गुरुकुल में आचार्य प्रद्युम्न और योगाचार्य बलदेव से वेद संस्कृत में योग की शिक्षा प्राप्त की।

    बाबा रामदेव जान आठवी में थे तभी वह लकवा के शिकार हो गये घरवालो के पास इतना पैसा नही था की इनके इलाज के खर्च के लिए अंग्रेजी दवाओं का खर्च उठाये लेकिन शुरू से ही योग और आयुर्वेद में रुचि रखने के कारण आयुर्वेद का सहारा लिए और आयुर्वेदिक दवा और योग के के माध्यम से बाबा रामदेव पूरी तरह स्वस्थ हो गए।   

    छोटी से उम्र में लिया संन्यास 

    स्वामी रामदेव ने युवावस्था में ही संन्यास लेने का निर्णय कर लिया था। छोटी सी उम्र में संन्यास लेने का निर्णय लेकर बाबा रामदेव कालवा गुरुकुल में रहने चले गए। आश्रम में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे हरिद्वार चले गए और गुरुकुल कांगड़ी के विश्वविद्यालय में कई सालों तक ज्ञान की साधना करते रहे।

    कहा जाता है, कि हिमालय में भी उन्होंने कई वर्षों तक तप किया है, इसके बाद वह पूर्ण रुप से हरिद्वार में आकर रहने लगे। स्वामी रामदेव ने स्वामी शंकर देव जी से दीक्षा ली थी, परिणाम स्वरूप वे प्राचीन शास्त्र का अध्ययन करने लगे और अपने योग पथ पर निरंतर आगे बढ़ने लगे।

    योग को बढ़ावा देने की पीठ की स्थापना

    योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए हरिद्वार में रहते हुए उन्होंने अपना योग गुरुकुल स्थापित किया और लोगों को योग की शिक्षा देने लगे। प्रारंभ में ही बाबा रामदेव जी के योग की शिक्षा देने से सैकड़ों लोगों की परेशानियों का निदान हो गया, जिससे चारों तरफ़ बाबा रामदेव की खूब चर्चा होना प्रारंभ हो गई थी। दिन ब दिन रामदेव जी ने लोगों को स्वस्थ रहने के एक प्राचीन और अनमोल पद्धतियों से परिचित कराया।

    दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट  की स्थापना

    योग को संसार में प्रचलित करने के लिए स्वामी रामदेव ने सन 1995 में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की। लेकिन अभी भी दुनिया के कोने कोने में पहुंच पाना स्वामी जी के लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा था, इसलिए उन्होंने मीडिया का सहारा लिया। जिसके तहत धार्मिक चैनल आस्था पर प्रोग्राम शुरू किया जो सुबह 5:00 बजे आया करता था। इस प्रोग्राम को लोग अपने घर पर ही देख योग कर सकते थे, इसलिए यह कार्यक्रम बहुत प्रसिद्ध हुआ।

    स्वामी रामदेव ने लोगों को योग के विषय में मार्गदर्शन देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और कोई भी योग के महत्व के ज्ञान से अछूत न रह सका। यहां तक की बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता और अभिनेत्री भी स्वस्थ रहने और जवान दिखने के लिए योग का सहारा चाहते हैं। इसलिए बाबा रामदेव ने बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन और शिल्पा शेट्टी जैसे कलाकारों को भी योग की शिक्षा दी है। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे बड़े देश भी निरंतर स्वामी जी को योग शिक्षा देने के लिए आमंत्रित करते रहे हैं।

    पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की स्थापना 

    एक ओर जहां बाबा रामदेव दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से योग को पूरी दुनिया में फ़ैलाने का काम कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ आयुर्वेद पर लोगों का विश्वास फिर से वापस लाने का प्रयास में लगे हुए थे। दुनिया में योग के साथ आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए सन 2006 में स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने मिलकर हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की स्थापना की। इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य भारत और विश्व में योग और आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाना है।

    आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए बाबा ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की स्थापना की। इसके तहत बाबा ने भारतीय बाजारों में आयुर्वेद से बने प्रोडक्ट बेचते हैं। पतंजलि दैनिक जीवन मैं उपयोग होने वाली मंजन, बिस्किट, चॉकलेट, आटा, साबुन, डिटर्जेंट, क्कॉस्मेटिक्स, आयुर्वेदिक दवाइयां, पेय पदार्थ कोल्ड ड्रिंक्स, नमकीन, दाल- चावल, अचार, पापड़ और बहुत से अनगिनत खाद्य पदार्थों को निर्मित करती है।

    पतंजलि का ग्रोथ लेवल एक नई ऊंचाई छू रहा है। सन 2021 में इसका टर्नओवर 30 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया है। बाबा रामदेव ने आगे कहा है कि, आने वाले तीन-चार सालों में कंपनी कर्ज मुक्त हो जाएगी। 

    बाबा ने पतंजलि आयुर्वेद के साथ-साथ पतंजलि चिकित्सालय की भी शुरुआत की है, जो पतंजलि स्टोर द्वारा चलाए जाते हैं जहां पर वैद्य को नियुक्त किया गया है और वे आयुर्वेदिक उपचार से लोगों की बीमारियों को दूर कर रहे है। क्योंकि इस ट्रस्ट को चलाने के लिए आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुभवी लोगों की आवश्यकता थी, इसलिए आचार्य कर्मवीर एवं आचार्य बालकृष्ण जी ने बाबा रामदेव का इस कार्य में साथ दिया।

    बाबा रामदेव से जुड़े विवाद 

    बाबा रामदेव राजनीति में ना होकर भी राजनीति में रहने वाले व्यक्तियों में से एक है। आए दिन अपने किसी ना किसी बेबाकी से बोले गए बयानों पर वह सुर्खियों में बने रहते हैं। कोरोना के संकट काल में उन्होंने एलोपैथिक और डॉक्टरों के खिलाफ विवादित बयान दे दिया था जिस पर देश में बहुत बवाल मचा था। बाबा ने कहा था कि, एलोपैथ मानव के लिए सही नहीं है , एलोपैथी एक मूर्खतापूर्ण विज्ञान है। डॉक्टर बेवकूफ बनाने का काम करते हैं, अगर वे स्वयं की रक्षा नहीं कर सकते तो किस काम का एलोपैथ। इसी के साथ बाबा ने कोरोना वैक्सीन पर भी सवाल उठाये थे। 

    बाबा के इस बयान पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने रामदेव जी पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग किया था। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने बाबा रामदेव से ऐलोपेथी और डॉक्टरों पर दिए बयान पर मांफी मांगने को कहा था। बाबा के बयान पर देश भर में उनके खिलाफ मामला दर्ज किए गए थे।