‘अटल टनल’ के रूप में ऐसे पूरा हुआ वाजपेयी का सपना

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दुनिया की सबसे लंबी टनल (World Longest Tunnel) लाहौल-स्पीति घाटी (Lahaul-Spiti Valley) की शान मानी जाती है इस टनल (Tunnel) का नाम पूर्व प्रधानमंत्री (Prime Minister) अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के नाम पर रखा गया हैयह समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर बना हुआ है, इसे रोहतांग टनल (Rohtang tunnel) के नाम से भी जाना जाता है यह टनल अत्याधुनिक सुविधाओं (Facilities) से लैस है और दिखने में बेहद ही आकर्षक भी हैसर्दियों (Winter) में बर्फबारी (Snowfall) की वजह से लगभग 6 महीने (6 month) तक लाहौल-स्पीति घाटी अलग-थलग रहती थी, लेकिन टनल के बनने के बाद अब ऐसा नहीं होता हैक्योंकि इस टनल में काफी हाइटेक (Hitech )इंतजाम किए गए हैं

टनल की बनावट (Tunnel texture)

  • अटल टनल दिखने में किसी घोड़े की नाल की तरह दिखता है यह 8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है. इसकी ओवरहेड निकासी 5.525 मीटर है।
  • यह टनल 10.5 मीटर चौड़ी है साथ ही इसमें 3.6x 2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास टनल भी मौजूद है, जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है।
  • इस टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्‍व के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी जैसे कई हाई-टेक फैसिलिटी है।

विशेषताएँ (Features)

  • अटल टनल में आपातकालीन कम्युनिकेशन के लिए प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन मौजूद है।
  • इसके दोनों पोर्टल पर टनल प्रवेश बैरियर लगे हुए है।
  • इस टनल के प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट सिस्टम है।
  • सुरक्षा के लिए हर 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से लगे हुए हैं, जो किसी भी होने वाली घटना को रिकॉर्ड करेंगे।
  • अटल टनल में प्रत्येक किलोमीटर की दूरी पर एयर क्वालिटी गुणवत्ता निगरानी भी है।

मनाली से लेह का सफर हुआ कम-
अटल टनल हिमालय की पीर पंजाल रेंज में बनाई गई है। इससे मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई है। साथ ही दोनों जगहों के बीच सफर का समय करीब 4 से 5 घंटे कम हो गया है। अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंगसिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

ऐतिहासिक निर्णय और निर्माण-
इस को टनल बनाने की सोच अटल बिहारी वाजपेयी की थी। जब वह प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने 03 जून, 2000 को रोहतांग दर्रे के नीचे एक स्ट्रैटजिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड की आधारशिला 26 मई, 2002 रखी गई थी। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने प्रमुख भूवैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों पर काबू पाने के लिए जीतोड़ मेहनत की। इनमें सबसे कठिन प्रखंड 587 मीटर लंबा सेरी नाला फॉल्ट जोन शामिल है, दोनों छोर पर सफलता 15 अक्टूबर, 2017 को मिली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 दिसंबर 2019 को इस टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने की घोषणा की। 3 अक्टूबर 2020को इस टनल का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया।इस टनल की निर्माण लागत करीब 3200 करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट का निर्माण 6 साल से कम समय में होना था, लेकिन इसे पूरा होने में 10 साल का समय लगा।