Chhatrapti Shivaji Maharaj, Death Annieversary, Maratha Empire
छत्रपति शिवाजी महाराज पुण्यतिथि (सोशल मीडिया)

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सीमा कुमारी

नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: भारत के वीर सम्राटों में से एक मराठा साम्राज्‍य (Maratha Empire) के संस्‍थापक और बहादुर योद्धा ‘छत्रपति शिवाजी’ (Chhatrapti Shivaji Maharaj) की आज यानी 3 अप्रैल 344 वीं पुण्यतिथि है। आपको बता दें, आज ही के दिन साल 1680 में उनकी मृत्यु हुई थी। रायगढ़ किले में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली थी।

कुशल रणनीतिकार थे शिवाजी

शिवाजी महाराज केवल महान योद्धा नहीं थे, बल्कि एक कुशल रणनीतिकार भी थे। 1674 ई. में उन्होंने पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई सालों तक मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया और औरंगजेब के शासन में जमकर मुकाबाला किया। सन 1674 में 44 साल की उम्र में उनका राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बने। ऐसे में आइए जानें शिवाजी और उनकी बहादुरी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-

जानिए इन रोचक तथ्यों के बारे में

जानकारों के अनुसार, शिवाजी सभी धर्मों का सम्मान करते थे, इतिहास के एक और तथ्य से इसकी जानकारी मिलती है। उन्होंने हजरत बाबा याकूत थोरवाले को ताउम्र पेंशन देने का आदेश दिया था। इसके अलावा फादर एंब्रोज को शिवाजी ने उस वक्त मदद पहुंचाई थी जब गुजरात के सूरत में उनकी चर्च पर हमला हुआ था।

पुराने लोगों का मानना है कि शिवाजी का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया था, जबकि कुछ कहते हैं कि स्थायी देवता के नाम पर उनका नाम शिवाजी पड़ा।

छत्रपति शिवाजी महाराज को अपनी नौसेना बनाने के लिए मध्ययुगीन भारत का पहला भारतीय राजा कहा जाता है। उन्होंने 1665 में अपना पहला नौसैनिक अभियान चलाया।

जानकारों का मानना है कि, शिवाजी की नौसेना में बड़ी संख्या में मुसलमान सैनिक तैनात थे। खासकर सिद्दी मुसलमान। शिवाजी ने अपनी राजधानी रायगढ़ में हिंदुओं के जगदीश्वर मंदिर की तरह ही मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए भी मस्जिद का निर्माण कराया था।

मुसलमानों से शिवाजी की मित्रता का एक और किस्सा गौरतलब है। आगरा के किले में जब शिवाजी को कैद कर लिया गया था, उस समय वहां से भागने में जिन दो व्यक्तियों ने उनकी मदद की थी, उनमें से एक मुसलमान था। उसका नाम मदारी मेहतर था।

शिवाजी की औपचारिक शिक्षा नहीं हुई लेकिन उन्हें रामायण और महाभारत की अच्छी जानकारी थी और वे हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने में यकीन करते थे।

शिवाजी महाराज महिलाओं के अधिकारों के लिए हमेशा आगे आए। महिलाओं के सम्मान में किसी प्रकार की कमी न आए, उनके राज्य में हमेशा ध्यान में रखा गया। उनके राज में महिलाओं को जेल में डालने की अनुमति नहीं थी।

शिवाजी ने गोरिल्ला युद्ध की नई तकनीकों को जन्म दिया और वे अकेले ही हजारों सैनिकों के लिए काफी होते थे। उन्हें युद्ध में हराना बहुत मुश्किल था।