(Image-Twitter)
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    नई दिल्ली: आज 15 गुड फ्राइडे पूरी दुनिया में मनाया जाता है। दरअसल यह  ईसाई समुदाय का बेहद प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन को और भी कई नामों से जाना जाता है। जी हां गुड फ्राइडे को ‘होली फ्राइडे’ या ‘ग्रेट फ्राइडे’ के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार पुरे विश्व में मनाया जाता है। अलग-अलग देशों में इस त्योहार को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। लेकिन कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि यह दिन  त्यौहार के रूप में मनाया जाता है तो इसकी बधाइयां क्यों नहीं दे सकते?  इस दिन लोग एक दूसरे को बधाइयां, शुभकामनाएं नहीं देते, बल्कि शोक मनाते हैं। इसके पीछे भी वजह है, आईये जानते है इसके पीछे क्या है कारण… 

    आपको बता दें कि गुड फ्राइडे के इस त्यौहार पर बधाइयां इसलिए नहीं दी जाती क्योंकि इस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था। अब आपके मन में सवाल होगा कि अगर इसी दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था तो इस दिन को फिर ‘गुड फ्राइडे’ क्यों कहा जाता है। आइए जानते है  आखिर क्या है इसके पीछे की कहानी और  इस दिन का महत्व..

    जानें क्यों कहा जाता है गुड फ्राइडे

    दरअसल गुड फ्राइडे के पीछे कई मान्यताएं हैं। यह माना जाता है कि जिस दिन यीशु की मृत्यु हुई थी, वह दिन शुक्रवार था। लेकिन फिर इसे ‘गुड’ क्यों कहा जाता है। धार्मिक लोगों का दृढ़ विश्वास है कि यीशु ने मानव जाति के लिए अपना प्यार दिखाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था।  यह भी कहा जाता है कि उन्होंने पूरी दुनिया के पापों के लिए अंतिम बलिदान दिया।

    एक बुरा दिन होने के बावजूद, इस दिन ने मानव जाति के उद्धार का मार्ग प्रशस्त किया. क्योंकि इसके बाद यीशु फिर जीवित होकर दो दिन बाद यानी रविवार को वापस जीवन में लौट आए। इसी वजह से इस दिन को ‘गुड’ कहा गया , जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 

    गुड फ्राइडे से जुड़ी कुछ खास बातें 

    हम आपको बता दें कि गुड फ्राइडे पर्व कि हर साल तारीख बदलती रहती है। गुड फ्राइडे के पहले यानी कि गुरुवार को ही इस पर्व की शुरुआत हो जाती है।  मान्यता है कि इस दिन ईसा मसीह ने अपने 12 शिष्यों के पैर धोए और उनके साथ अंतिम बार भोजन किया था। इसी की याद में चर्च के फादर 12 लोगों के पैर धोते है।

    वहीं ईसाइयों के धर्मगुरु पोप भी वेटिकन सिटी में 12 लोगों के पैर धोते और चूमते हैं। इस दिन लोग उपवास रहते है और चर्च में प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं। इस दिन का ईसाई समुदाय में बहुत महत्व होता है।