Diwali

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    मुंबई: कोरोना काल के दो साल बाद इस वर्ष दिवाली (Diwali ) पूरे उत्साह के साथ मनाई जाएगी। अमावस्या दो दिन होने से आम लोगों में दीवाली पर लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Puja) को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। कुछ विद्वानों में भी उदयातिथि को लेकर मतभेद देखने को मिल रहे थे जिससे असमंजस के हालात बन गए थे, लेकिन ‘मुहूर्त चिंतामणि’ का मंथन करने के बाद ज्योतिषी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि दीवाली 24 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। 

    ज्योतिष के अनुसार, प्रदोष काल और निशितकाल व्यापिनी अमावस्या में दीवाली मनाई जाती है। कई वर्षों बाद इस साल चित्रा नक्षत्र (Chitra Nakshatra) में दीपावली पड़ रही है, जो समग्र राष्ट्र और समाज के लिए सुख समृद्धि लाने वाली सिद्ध होगी। दीवाली के अगले दिन अमावस्या पर 27 साल बाद सूर्यग्रहण लगने जा रहा है जो देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देगा।

    हस्त-चित्रा नक्षत्र में वैधृति योग का सुखद संयोग 

    गौरतलब हो कि कार्तिक अमावस्या सोमवार 24 अक्टूबर को शाम 5:27 बजे से आरंभ होकर अगले दिन 25 अक्टूबर मंगलवार को शाम 4:16 बजे तक रहेगी। हस्त नक्षत्र अपराह्न 2:41 मिनट तक होगा, इसके बाद दीपावली पूजा में चित्रा नक्षत्र का संचार होगा। हस्त-चित्रा नक्षत्र में वैधृति योग का सुखद संयोग रहेगा। ज्योतिष के अनुसार हस्त नक्षत्र लघु छित्र संज्ञक और चित्रा मृदु मैत्र संज्ञक है। दोनों नक्षत्र व्यापारी और उद्योग जगत को नई ऊर्जा प्रदान करेंगे।

    प्रदोष और निशितकाल की अमावस्या श्रेष्ठ 

    ब्रह्मपुराण में प्रदोष काल से लेकर निशितकाल तक रहने वाली अमावस्या को श्रेष्ठ कहा गया है, अतः दीवाली 24 अक्टूबर सोमवार को निर्विवाद रूप से सारे देश में मनाई जाएगी। सोमवार को प्रदोष काल शाम 5:39 से रात्रि 8:15 बजे तक रहेगा। प्रदोष काल में ही मेष, वृष लग्न और अमृत चर की चौघड़िया विराजमान रहेगी। महानिशितकाल और सिंह लग्न में महालक्ष्मी पूजन करने के लिए अर्धरात्रि में सिंह लग्न 1:27 से 3:27 बजे तक तक का समय उत्तम रहेगा।

    27 साल बाद सूर्यग्रहण का संयोग 

    दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। यह आंशिक ग्रहण होगा जो देश के कई हिस्सों में दिखेगा। दिवाली के अगले दिन ग्रहण होने से गोवर्धन पूजा दिवाली के तीसरे दिन मनाई जाएगी। यह स्थिति 27 वर्ष पूर्व 1995 में हुई थी। सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पूर्व आरंभ हो जाता है। इस हिसाब से 24 अक्टूबर  की मध्यरात्रि से ही सूतककाल आरंभ हो जाएगा। सूतक काल दिवाली की रात 2:30 बजे से शुरू होगा जो अगले दिन 25 अक्टूबर की सुबह 4: 22 बजे समाप्त होगा। 

    लक्ष्मी पूजन मुहुर्त

    • लक्ष्मीपूजन मुहुर्त शाम 7:26 से 8:39 बजे तक
    • प्रदोष काल-शाम 6:10 से 8:39 बजे तक
    • वृषभ काल-शाम 7:26 से 9:26 बजे तक

    निशितकाल की पूजा

    • रात 11:58 से सुबह 12:48 तक

    लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त

    • चर, लाभ, अमृत- शाम 5:27 से 6:10 बजे तक 
    • शाम मुहूर्त (चर)-शाम 6:10 से 7:43 बजे तक
    • रात्रि मुहूर्त (लाभ)-10:49 से 12:23 बजे तक
    • उषाकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) सुबह 1:56 से 6:36 बजे तक

    कई सालों बाद चित्रा और हस्त नक्षत्र का सुखद संयोग इस दीवाली पर बन रहा है। देश की कुंडली की गणना करने से ज्ञात होता है कि इस वर्ष देश के खजाने पर धनलक्ष्मी की वर्षा तो होगी ही जनता जनार्दन की भी झोली भरेगी।

    - पं. रामप्रसाद मिश्र भृगुसंहिताचार्य

    दीवाली पर बनने वाले ग्रहों का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि देश की अर्थव्यवस्था उन्नति पर होगी। साथ ही शेअर बाजार भी उछाल मारेगा। मेहनतकश लोगों का सम्मान होगा और प्रत्येक क्षेत्र में तरक्की देखने को मिलेगी।

    -ज्योतिर्विद डॉ. बालकृष्ण मिश्र