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    -सीमा कुमारी

    आज पोंगल (Pongal) का आखिरी दिन है। तमिल में पोंगल को ‘थाई पोंगल’ (Thai Pongal) के नाम से भी जाना जाता है। पोंगल पर्व का दिन बहुत शुभ माना जाता है और यह चार दिनों तक बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

    यह त्यौहार किसानों का प्रमुख त्यौहार भी कहलाता है। धान की फसल कटने की खुशी में किसान यह त्यौहार बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार सूर्य और इंद्रदेव को समर्पित होता है। मान्यता है कि, इनकी पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करने से किसानों पर कृपा बनी रहती है।

    तमिल हिन्दुओं का यह पोंगल पर्व आमतौर पर 14 और 15 जनवरी से शुरू होता है। यह पर्व चार दिन की फसल की कटाई का उत्सव है, जो कि दक्षिण भारत और मुख्यतौर पर तमिलनाडु में मनाया जाता है।

    पोंगल (Pongal) के आखिरी दिन, यानी चौथे दिन को ‘कन्या पोंगल’ (Kanya Pongal) के नाम से जाना जाता है। इसे लोग ‘तिरूवल्लूर’ के नाम से भी जानते हैं। आखिरी दिन घर को अच्छी तरह से सजाया जाता है। लोग आम और नारियल के पत्तों से घर के मुख्यद्वार को सजाते हैं। महिलाएं घर के बाहर रंगोली बनाती हैं।

    पोंगल पर्व के आखिरी दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं। एक-दूसरे के घर मिठाई देने जाते हैं।  ‘कन्या पोंगल’ के दिन बैलों की लड़ाई भी करवाई जाती है, जिसे ‘जलीकट्टू’ (Jalikattu) के नाम से जाना जाता हैं।