Paush Purnima
पौष पूर्णिमा

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: साल 2022 की ‘पौष पूर्णिमा’ 17 जनवरी, सोमवार को है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने का विशेष विधान है। धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति को सौ यज्ञों के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, पूर्णिमा के दिन दान करने से अमोघ फल का वरदान भी मिलता है। इस दिन साधक पवित्र नदियों में स्नान कर तिल तर्पण करते हैं। इससे पितरों को मोक्ष मिलता है। अत: पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आइए जानें ‘पौष पूर्णिमा’ की तिथि, मुहूर्त , व्रत और विशेष योग के बारे में।

    शुभ-मुहर्त

    पौष पूर्णिमा’ तिथि आरंभ:

    17 जनवरी, 2022,  सोमवार रात्रि 3:18 मिनट से

    पौष पूर्णिमा तिथि समाप्त:

    18 जनवरी, 2022, मंगलवार प्रातः 5:17 मिनट तक।

    उदया तिथि मान्य होने के कारण ‘पौष पूर्णिमा’ 17 जनवरी को है।

    पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त आरंभ:  

    दोपहर 12: 20 मिनट से

    पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त समाप्त:

    दोपहर 12;52 मिनट पर।

    पूजा-विधि

    इस व्रत को करने के लिए व्यक्ति को दिन भर उपवास रखना चाहिए। संध्याकाल में किसी प्रकांड पंडित को बुलाकर सत्य नारायण की कथा श्रवण करवाना चाहिए। इस पूजा में सबसे पहले गणेश जी की, इसके बाद इंद्र देव और नवग्रह सहित कुल देवी देवता की पूजा की जाती है। फिर ठाकुर और नारायण जी की।

    इसके बाद माता लक्ष्मी, पार्वती सहित सरस्वती की पूजा की जाती है। अंत में भगवान शिव और ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। इससे सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं। इसके बाद आरती और हवन कर पूजा सम्पन्न किया जाता है। साधक आर्थिक क्षमता अनुसार व्रत एवं पूजा का निर्वहन कर सकते हैं।