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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित ‘संकष्टी चतुर्थी’ (Sankashti Chaturthi) व्रत हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस साल कार्तिक मास की संकष्टी चतुर्थी’ व्रत 13 अक्टूबर, गुरुवार को है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। प्रत्येक मास चतुर्थी तिथि के दिन यह विशेष व्रत रखा जाता है। आइए जानें पवित्र कार्तिक मास में किस दिन रखा जाएगा यह व्रत, इसका मुहूर्त और पूजा विधि।

    तिथि  

    कार्तिक मास चतुर्थी तिथि प्रारम्भ:

    13 अक्टूबर 2022, गुरुवार सुबह 01:59 से

    चतुर्थी तिथि समाप्त:

    14 अक्टूबर 2022, शुक्रवार सुबह 03:08 तक

     चंद्रोदय समय: 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार रात्रि 08:09 बजे

    पूजा-विधि

    संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करें इसके पश्चात पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। फिर गणेश जी को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

    सिंदूर से भगवान गणेश का तिलक करें, उन्हें पुष्प अर्पित करें। दूर्वा गणेश जी बेहद प्रिय है इसलिए 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।

    इन मंत्रों का करें जाप

     वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: ।

    निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ।।

    गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं ।

    उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ।।

    विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं ।

    नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ।।