इस दिन है’ छोटी दीवाली’ जानिए इसकी महिमा,  पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

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    सीमा कुमारी

    दीपों का त्योहार ‘दिवाली’ हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व संपूर्ण भारत में बहुत ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। क्योंकि यह पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है, इस  दिन धन की देवी लक्ष्मी जी की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है।

    हिंदू धर्म में लक्ष्मी जी को वैभव के साथ सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करने वाला माना जाता है। अगर बात छोटी दिवाली की करते है तो,यह पर्व यानी ‘छोटी दिवाली’ | (Chhot Diwali)   ‘बड़ी दिवाली’ से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है | धनतेरस के बाद वाले दिन को छोटी दिवाली का पावन पर्व मनाया जाता है |

    इस पर्व को कृष्ण पक्ष के 14वें दिन कार्तिक के विक्रम संवत में मनाया जाता है। इसे काली चौदस भी कहा जाता है। साथ ही यह 14वें दिन आती है तो इसे चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन को नरक चौदस या रूप चौदस भी कहा जाता है। इस साल  ‘छोटी दीवाली’ 3 नवंबर, यानी अगले बुधवार,को है | आइए जानें छोटी दीपावली क्यों और कैसे मनाई जाती है, तथा इसका महत्व, पूजा विधि एवं मुहूर्त क्या है?  

    छोटी दीपावली का महत्‍व

    नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) को यम चतुर्दशी (Yam Chaturdashi) और रूप चतुर्दशी (Roop Chatirdashi) या रूप चौदस (Roop Chaudas) भी कहते हैं | यह पर्व नरक चौदस (Narak Chaudas) और नरक पूजा (Narak Puja) के नाम से भी प्रसिद्ध है | आमतौर पर, लोग इस पर्व को छोटी दीवाली (Chhot Diwali) भी कहते हैं |

    इस दिन यमराज की पूजा करने और व्रत रखने का व‍िधान है | ऐसी मान्‍यता है कि, इस दिन जो श्रद्धालु सूर्योदय से पूर्व अभ्‍यंग स्‍नान यानी तिल का तेल लगाकर अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) यानी कि चिचिंटा या लट जीरा की पत्तियां जल में डालकर स्नान करता है, उसे यमराज की व‍िशेष कृपा म‍िलती है |नरक जाने से मुक्ति म‍िलती है और सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं | स्‍नान के बाद सुबह-सवेरे राधा-कृष्‍ण के मंदिर में जाकर दर्शन करने से पापों का नाश होता है और रूप-सौन्‍दर्य की प्राप्ति होती है | माना जाता है कि, महाबली हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था | इसलिए बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है |

    छोटी दीपावली का शुभ मुहूर्त

    अभयंगा स्नान मुहूर्त 05.40 AM से 06.03 AM तक

     पूजा विधि

    छोटी दीवाली के दिन सुबह सवेरे स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें | स्वच्छ वस्त्र धारण कर शुभ मुहूर्त पर पूजा प्रारंभ करें | लकड़ी की एक छोटी सी चौकी लें, इस पर लाल रंग का आसन बिछाएँ. इस पर भगवान श्रीगणेश एवं देवी लक्ष्मी की तस्वीर रखें | तस्वीर के सामने चांदी के सिक्के रखें. एक बड़ी प्लेट में स्वास्तिक बनाएं |  इसके चारों और 11 मिट्टी के दीपक रखें, बीच में चारमुखी दीपक रखें |

    अब 11 दीयों में चीनी, मखाना, खील या मुरमुरा रखें | अब 11 दीपक, एवं बीच में स्थित चारमुखी दीपक जलायें. रोली और अक्षत से लक्ष्मीजी एवं गणेश जी को तिलक लगाकर पंचोपचार विधि से पूजा करें | एक शुद्ध घी का दीप जलाकर लक्ष्मी जी के सामने रखें. अब लाल पुष्प, अक्षत, इत्र, एवं खोए की मिठाई अर्पित करें | अब इस लक्ष्मी मंत्र “श्रीम स्वाहा” का कम से कम 108 बार जाप करें. अपनी कामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें |

    नरक चतुर्दशी के दिन कैसे जलाएं दीया ?

    कार्तिक चतुर्दशी की रात यम का दीया जलया जाता है. इस दिन यम के नाम का दीया कुछ इस तरह जलाना चाहिए |

     घर के सबसे बड़े सदस्‍य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए.

      इसके बाद इस दीये को पूरे घर में घुमाएं |

      अब घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं |

      घर के दूसरे सदस्‍य घर के अंदर ही रहें और इस दीपक को न देखें |