इस दिन है नए साल का पहला ‘प्रदोष व्रत’, इस मुहूर्त में करें भोलेनाथ की पूजा, मिलेगी असीम कृपा

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: नए साल 2023 का पहला ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) 4 जनवरी को रखा जाएगा। भगवान शिव की प्रिय तिथि त्रयोदशी पर ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) किया जाता है। भगवान शिव को ये तिथि अत्यंत प्रिय होने के चलते यह व्रत माता पार्वती को प्रिय होता है। इसी कारण इस दिन माता पार्वती और भोले बाबा की पूजा करने का विधान होता है। मान्यता है कि, इस ‘प्रदोष व्रत’ के प्रभाव से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। संतान सुख, सुयोग्य वर, धन आदि की प्राप्ति होती है। आइए जानें नए साल का पहला ‘प्रदोष व्रत’ कब है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।

    तिथि

    पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जनवरी मंगलवार को रात 10 बजकर 1 मिनट से प्रारंभ हो जा रही है और यह अगले दिन 4 जनवरी बुधवार की रात ठीक 12 बजे खत्म हो रही है। प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार पर बुध प्रदोष व्रत 4 जनवरी को रखा जाएगा।

    प्रदोष व्रत 2023 पूजा मुहूर्त

    4 जनवरी को बुध प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 37 मिनट से प्रारंभ हो रहा है, जो रात 8 बजकर 21 मिनट तक मान्य है। इस समय काल में आपको भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर लेनी चाहिए। इस दिन का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक है।  

    तीन शुभ योगों में है ‘प्रदोष व्रत’

    नए साल का पहला प्रदोष व्रत तीन शुभ योगों में पड़ रहा है। 4 जनवरी को सुबह से लेकर दोपहर 1 बजकर 53 मिनट तक ‘प्रीति योग’ है। उसके बाद से आयुष्मान योग प्रारंभ हो रहा है। इनके अलावा रवि योग भी बन रहा है, जो सुबह 07 बजकर 08 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। ये तीनों ही योग शुभ माने जाते हैं।

    साल के पहले प्रदोष व्रत के दिन भद्रा का साया है। हालांकि भद्रा के समय में पूजा पाठ कर सकते हैं। उस दौरान कोई शुभ कार्य करना मना होता है। रात 9 बजकर 29 मिनट पर भद्रा का प्रारंभ हो रहा है, जो अगले दिन 5 जनवरी को सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगी।

    हालांकि प्रदोष पूजा का मुहूर्त 04 जनवरी को रात 8 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जा रहा है। और उसके बाद भद्रा शुरू हो रही है।

    महत्व  

    ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh Vrat) को हिन्दू धर्म में बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि, इस व्रत को पूरी निष्ठा से भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति मिलती है।

    पुराणों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि यदि कोई जातक एक प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)  रखता है तो इस एक व्रत को करने का फल दो गायों के दान जितना होता है। इस व्रत के महत्व को वेदों के महाज्ञानी सूतजी ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था।