संतान प्राप्ति के लिए ‘स्कंद षष्ठी’ के दिन करें विधिवत पूजा, जानिए पूजा का सही मुहूर्त

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को ‘स्कंद षष्ठी’ (Skanda Sashti Vrat) का व्रत रखा जाता है। इस साल मार्च महीने में आज यानी 26 मार्च 2023, रविवार को ‘स्कंद षष्ठी’ का व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा और उपवास रखने से निसंतान दंपति को संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है। ‘स्कंद षष्ठी व्रत’ करने से सभी शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और संतान के जीवन पर कभी कोई संकट नहीं आता है। स्कंद षष्ठी व्रत में भगवान शिव और माता गौरी के ज्येष्ठ पुत्र ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। आइए जानें स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शुभ मुहूर्त

मार्च में ‘स्कंद षष्ठी व्रत’

चैत्र, शुक्ल पक्ष षष्ठी

रविवार, 26 मार्च 2023

26 मार्च शाम 4:33 बजे – 27 मार्च शाम 5:28 बजे

पूजा विधि

‘स्कंद षष्ठी’ की पूजा में सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर पर लाल चंदन, अक्षत, फूल, फल और मोर पंख आदि अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप से आरती करें। इसके बाद भगवान के समक्ष बैठकर षष्ठी स्त्रोत का पाठ करें। मान्यता है कि इस स्त्रोत के पाठ से संतान संकट से मुक्ति मिलने के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कार्तिकेय के प्रिय वाहन मोर की पूजा करने से संतान पर आई विपत्तियों का नाश होता है।

धार्मिक महत्व

प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक, ‘स्कंद षष्ठी व्रत’ करने से  प्रियव्रत का मरा हुआ बच्चा फिर से जीवित हो गया था। इतना ही नहीं कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से च्यवन ऋषि को आंखों की रोशनी वापस आ गई थी। स्कंद षष्ठी का व्रत करने से व्रति की संतानों पर कार्तिकेय जी की कृपा बनी रहती है और उनके जीवन पर आने वाली सभी संकट दूर हो जाता है। साथ जिनकी कोई संतान नहीं वो लोग जरूर स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजा करें। इससे उनकी सूनी गोद जल्द भर जाती है।