Sankashti Chaturthi

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: ‘संकष्टी चतुर्थी’ (Sankashti Chaturthi) का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस बार मई महीने की संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज 8 मई 2023,सोमवार को है। सनातन धर्म में भगवान गणेश को सभी देवी देवताओं में सबसे पहले पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य के पहले भगवान गणेश को पूजने से उस कार्य में सफलता जरूर प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त व्रत भी रखते है। आइए जानें मई महीने की संकष्टी चतुर्थी का महत्व पूजा विधि और व्रत पारण का समय-

तिथि

संकष्टी चतुर्थी जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। जिसकी शुरुआत 8 मई 2023 को शाम 6:18 से हो रही है इसका समापन अगले दिन यानी 9 मई 2023 शाम 4:08 पर होगा। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार, व्रत 8 मई को रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त माना जाता है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक रहेगा। मान्यताओं के अनुसार यदि इस शुभ मुहूर्त में पूजा करते हैं तो व्रत फलदायी होता है। साथ ही भगवान गणेश का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

पूजा विधि

‘संकष्टी चतुर्थी’ के दिन सबसे पहले स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें। इस दिन लाल वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है। पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। साफ आसन या चौकी पर भगवान श्री गणेश की मूर्ति विराजित करें। धूप-दीप से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करें। पूजा के दौरान ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपतये नमः मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद लड्डू या तिल से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। शाम को व्रत कथा पढ़कर और चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलें। व्रत पूरा करने के बाद दान करना न भूलें।

धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद हैं। एकदन्त संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें दूर्वा अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से प्रभु जल्दी प्रसन्न होते हैं।

महत्व

मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश और चौथ माता का पूजा की जाती है जिससे भक्तो के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस व्रत को करने से घर कारोबार में आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। इस दिन चंद्रमा को अर्घ देने से व्यक्ति को भगवान गणेश के दर्शन करने का पुण्य और फल मिलता है। जो लोग शनि का साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित है उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए।