आज गुरूवार को है ‘भीष्म द्वादशी व्रत’, शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा से बीमारियां हो सकती हैं दूर

    Loading

    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली: हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन ‘भीष्म द्वादशी’ (Bhishma Dwadashi) का पावन पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष आज यानी 2 फरवरी, गुरुवार को है। हालांकि कुछ लोग 1 फरवरी को भी मना सकते हैं। दरअसल, सूर्य के उत्तरायण होने पर अष्टमी के दिन भीष्म ने प्राण त्यागे थे और द्वादशी के दिन उनके निमित्त धार्मिक कार्य किए गए थे। इसलिए इस दिन भीष्म द्वादशी मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विधान बताया गया है।

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि, भीष्म पितामह ने अष्टमी के दिन अपने शरीर का त्याग किया था। हालांकि उनके निमित्त जो कोई भी धार्मिक कर्म इत्यादि किए गए वह द्वादशी के दिन किए गए थे। यही वजह है कि, भीष्म अष्टमी के बाद भीष्म द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। आइए जानें भीष्म द्वादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व ।

    शुभ मुहूर्त

    माघ शुक्ल द्वादशी तिथि की शुरुआत 1 फरवरी दोपहर 2.04 बजे से हो रही है, द्वादशी तिथि 2 फरवरी 4.27 बजे संपन्न हो रही है। इसलिए उदया तिथि में द्वादशी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। इसी दिन जया एकादशी का पारण भी होगा।

    पूजा विधि

    भीष्म द्वादशी के दिन इस विधि से पूजा करना कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन भीष्म की कथा सुनी जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा पूर्वक विधि विधान से पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बीमारियां दूर होती हैं और पितृ दोष से छुटकारा भी मिलता है।

    इस दिन स्नान ध्यान के बाद भगवान विष्णु के स्वरूप श्रीकृष्ण की पूजा करें। भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर भीष्म पितामह के निमित्त तर्पण करें। खुद तर्पण नहीं कर सकते तो किसी जानकार से भी तर्पण करा सकते हैं।

    धार्मिक महत्व

    हिन्दू धर्म में भीष्म द्वादशी पर्व का बड़ा महत्व हैं। इस दिन तिल का दान करने, तिल के पानी से स्नान करने और तिल को हवन आदि में इस्तेमाल करने का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति भीष्म द्वादशी के दिन तिल का दान करता है उसके जीवन में तमाम ख़ुशियाँ अपना घर बना लेती हैं। साथ ही ऐसे व्यक्तियों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता भी प्राप्त होती है।

    भीष्म द्वादशी के दिन तिल का दान करने से लेकर तिल को स्नान के पानी में डालकर उस जल से स्नान करने और तिल को खाने का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू धार्मिक महत्व के अनुसार तिल को बेहद ही पवित्र, पाप दूर करने वाला और पुण्यदाई माना जाता है। ऐसे में मुमकिन हो तो भीष्म द्वादशी के दिन अपनी यथाशक्ति अनुसार किसी ब्राह्मण को तिल का दान अवश्य करें।

    कहा जाता है कि, तिल का दान करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। सिर्फ इतना ही नहीं कहा जाता है कि, तिल का दान करने से गौ दान जितना फल व्यक्ति को प्राप्त होता है।