Paush Putrada Ekadashi
पौष पुत्रदा एकादशी

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सीमा कुमारी

नई दिल्ली: आज 31 मई 2023, बुधवार को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) मनाई जाएगी। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘निर्जला एकादशी’ कहते हैं। निर्जला एकादशी में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान होने के कारण इसे ‘निर्जला एकादशी’ कहते हैं।

ऐसा इसलिए, क्योंकि इस दिन विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत का पालन करती हैं। साथ ही इस दिन ‘गायत्री जयंती’ भी मनाई जाती है। आइए जानें कब रखा जाएगा ‘निर्जला एकादशी व्रत’, शुभ मुहूर्त और महत्व।

तिथि

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 30 मई 2023 को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट तक रखा जाएगा। वहीं, इस तिथि का समापन 31 मई को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, यह व्रत 31 मई 2023, बुधवार के रखा जाएगा।

शुभ मुहूर्त

‘निर्जला एकादशी’ के दिन दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 6 बजे तक रहेगा और रवि योग भी इतना ही समय रहेगा। व्रत का पारण अगले दिन यानि, 1 जून को सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 8 बजकर 10 मिनट के बीच किया जाएगा।

पूजन विधि 

‘निर्जला एकादशी’ के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें।

साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। व्रत का संकल्प लेने के बाद अगले दिन सूर्योदय होने तक जल की एक बूंद भी ग्रहण न करें। इसमें अन्न और फलाहार का भी त्याग करना होगा। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को स्नान करके फिर से श्रीहरी की पूजा करने के बाद अन्न-जल ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।

महत्व

निर्जला एकादशी व्रत की गणना कठिन उपवास में की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि जो लोग 24 एकादशी व्रत नहीं रख पाते हैं, उन्हें साल में एक बार निर्जला एकादशी व्रत अवश्य रखना चाहिए। ऐसा करने से सभी एकादशी व्रतों का फल साधक को प्राप्त हो जाता है और परिवार को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है।