- परियोजना पर ब्रेक लगने की संभावना
- शेलार ने उद्धव ठाकरे सरकार पर साधा निशाना
मुंबई. मुंबई मेट्रो (Mumbai Metro) और बुलेट ट्रेन (Bullet train) को लेकर चल रहे विवाद के बीच डहाणू तहसील (Dahanu Tehsil) अंतर्गत प्रस्तावित वाढवण बंदरगाह (Vadhavan port) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार (Central and state government)के बीच टकराव बढ़ सकता है. इसको लेकर भाजपा नेता और पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार पर निशाना साधा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल 65 हजार 545 करोड़ रुपए वाले वाढवण बंदरगाह परियोजना को लेकर शिवसेना (Shiv sena) का शुरु से ही विरोध रहा है. कांजुरमार्ग (Kanjurmarg) इलाके में मुंबई मेट्रो के कारशेड निर्माण पर मुंबई उच्च न्यायालय की तरफ से रोक लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स (BKC) में बुलेट ट्रेन की जगह पर मेट्रो कारशेड निर्माण की तैयारी दिखाई है. जिसको लेकर राज्य और केंद्र के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. इस परिस्थिति में वाढवण बंदरगाह को राज्य सरकार की तरफ से सहयोग मिलने की उम्मीद बहुत कम ही है.
स्थानीय मछुआरे पहले से ही कर रहे हैं वाढवण बंदरगाह का विरोध
वाढवण बंदरगाह का विरोध स्थानीय मछुआरे पहले से ही कर रहे हैं. इसको लेकर मछुआरों ने बंद का एलान भी किया था. पिछले दिनों बंदरगाह विरोधी कृति समिति का एक शिष्टमंडल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी मिला था. इस अवसर पर नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और विधान परिषद के सदस्य रविंद फाटक भी मौजूद थे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पहले ही यह कह चुके हैं कि वे इस परियोजना को लेकर स्थानीय नागरिकों और मछुआरों के साथ हैं.
खारे पाणी गोडे करण्याचा प्रस्ताव आर्थिकदृष्ट्या परवडणारा नाही म्हणून ठाण्यात रद्द झाला.
मग,असा प्रकल्प 200 पट अधिक खर्च करुन मुंबईला तरी कसा परवडणार ?
वाढवण बंदर जर समुद्री पर्यावरणाला घातक असेल तर मुंबईचा प्रकल्पही घातक ठरु शकतो?
म्हणून कंत्राटदार प्रेमाची, बालहट्टाची लाट आवरा!— Adv. Ashish Shelar – ॲड. आशिष शेलार (@ShelarAshish) December 20, 2020
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शेलार ने ट्वीट कर साधा निशाना
भाजपा नेता और पूर्व मंत्री आशीष शेलार ने रविवार को ट्वीट के जरिए सरकार पर निशाना साधते हुए ठेकेदारों से प्रेम और बालहठ से दूर रहने की सलाह दी है. शेलार ने ट्वीट कर कहा है कि खारे पानी को मीठा करने का प्रस्ताव आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद नहीं था इसलिए ठाणे में रद्द किया गया, लेकिन इसी तरह की परियोजना 200 गुना अधिक खर्च करके मुंबई में किस तरह उपयोगी होगी? यदि वाढवण बंदरगाह समुद्री पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है तो मुंबई की परियोजना भी पर्यावरण के लिए खतरा बन सकती है.
केंद्र सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि जेएनपीटी पर बढ़ते हुए भार को कम करने के लिए वाढवण बंदरगाह के निर्माण को मंजूरी दी गयी है. इसमें केंद्र सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. यदि इसका निर्माण हो गया तो 90 प्रतिशत कंटेनर्स का परिवहन वाढवण बंदरगाह से ही होगा. इस बंदरगाह के माध्यम से आयात होने वाला कंटेनर देश भर में वितरित किया जाएगा. इससे स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होगा.