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  • 6 विधानसभा क्षेत्रों में 1-1 सेंटर हो, महापौर ने दिया सुझाव

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नागपुर. मनपा की गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई आम सभा में भले ही कई तरह के महत्वपूर्ण विषयों पर निर्णय लिया गया हो, लेकिन सर्वाधिक मामला कोरोना से संबंधित ही गूंजता रहा. वरिष्ठ पार्षद एवं विधायक प्रवीण दटके द्वारा नोटिस के माध्यम से शहर में कोरोना की स्थिति तथा इससे निपटने किए जा रहे उपायों को लेकर प्रशासन से सदन में जानकारी रखने की मांग की गई. जिस पर कई पार्षदों द्वारा चर्चा के दौरान कई सुझाव भी दिए गए.

जिसके बाद महापौर दयाशंकर तिवारी ने दटके के सुझाव के अनुसार 6 विधानसभा क्षेत्रों में 1-1 वैक्सीनेशन सेंटर 24 बाय 7 शुरू रखने पर आगे बढ़ने के निर्देश प्रशासन को दिए. महापौर ने निर्देश देते हुए बताया कि इस संदर्भ में आयुक्त राधाकृष्णन. बी ने भी इसी तरह की इच्छा जताई थी. किंतु कर्मचारियों पर बोझ पड़ने की संभावना के चलते इसे टाल दिया गया था. प्रशासन की ओर से बताया गया कि वर्तमान में सरकारी 29, निजी अस्पतालों के 45 मिलाकर कुल 74 वैक्सीनेशन सेंटर्स संचालित किए जा रहे हैं.

वास्तविक स्थिति अलग

मनपा प्रशासन द्वारा भले ही कोरोना से निपटने के लिए अपनी तैयारियों की जानकारी साझा कर रही हो, लेकिन वास्तविकता कुछ अलग ही है. वर्तमान में भी बेड के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. किंतु मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं हो रहे हैं. पार्षदों को परिपूर्ण जानकारी तक मनपा द्वारा नहीं दी जा रही है. जिससे कई लोगों को एक काम के लिए सम्पर्क करना पड़ता है. मनपा प्रशासन द्वारा अस्पतालों में बेड खाली होने का दावा किया जा रहा है. किंतु आलम यह है कि मेडिकल में 2 दिन पहले ही 45 मरीज वेटिंग करते बाहर खड़े रहे. इसी तरह की अवस्था कई अस्पतालों में है. जिससे स्थिति खराब होने से पहले बेड उपलब्ध हो, इसकी व्यवस्था मनपा ने करनी चाहिए.

-आभा पांडे, वरिष्ठ पार्षद.

सतर्क रहना जरूरी

कोरोना महामारी में बाधित होनेवाले मरीज को समय पर इलाज मुहैया होना जरूरी है. एक दिन पहले ही मनपा के इंदिरा गांधी अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने की भनक लगी थी. जबकि वहां के स्वास्थ्य कर्मचारी को ही इसकी जानकारी नहीं थी. महापौर से चर्चा करने के बाद उनके माध्यम से आयुक्त तक इसकी जानकारी पहुंचाई गई है. जिसके बाद अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था हो पाई. इस तरह से वरिष्ठ स्तर पर भले ही कई तरह के प्रयास किए जाने के दावे हो रहे हो, लेकिन निचले स्तर तक इसे पूरी तरह से निभाया जाता है या नहीं, यह प्रश्न है. स्वास्थ्य सेवा को लेकर सभी को सतर्क रहना जरूरी है. कुछ अस्पतालों में दवा खत्म होने की खबरें मिल रही है. अधिकारियों के वाहन का ईंधन खत्म नहीं होता है, लेकिन इस विकराल स्थिति में दवा खत्म कैसे हो जाती है, यह समझ से परे है.

-प्रफुल्ल गुड्धे, वरिष्ठ पार्षद

अस्पतालों में बेड की स्थिति

79 निजी अस्पतालों में 2,936 बेड्स

वर्ग कुल रिक्त

ऑक्सीजन 1,839 194

आईसीयू 994 46

वेंटिलेटर्स 261 35

8 सरकारी अस्पताल में 1,515 बेड्स

वर्ग कुल रिक्त

ऑक्सीजन 1,152 427

आईसीयू 319 70

वेंटिलेटर्स 271 74