This time in the Navbharat e-discussion, meet Mr. Balasaheb Thorat, the tall leader of Maharashtra

बालासाहेब भाऊसाहेब थोरात महाराष्ट्र के उन कद्दावर नेताओं में से एक है जिनको किसी परिचय कि जरुरत नहीं है। देश सेवा और जनसेवा कि भावना के साथ ये पिछले कई वर्षों से महाराष्ट्र एवं यहाँ के लोगों की सेवा कर रहे हैं और इनकी आवाज़ उठा रहे हैं ।

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नागपुर. महाराष्ट्र की राजनीति में भांति भांति के राजनेताओं का उदय हुआ है । उनमे से कुछ विरले ही ऐसे होते है जो वक़्त के धरातल और लोगों के चित्त पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं। ऐसे ही प्रभावशील नेताओं की श्रेणी में नाम आता है बालासाहेब भाऊसाहेब थोरात का जो महाराष्ट्र में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक हैं।

नवभारत e-चर्चा में इस बार आपके समक्ष प्रस्तुत होंगे श्री बालासाहेब  भाऊसाहेब थोरात और वे वर्त्तमान कोरोना के परिदृश्य में राजनीति और शासन में आने वाले समस्याओं और बदलाव पर अपने विचार रखेंगे। वे नवभारत फेसबुक पेज ( https://www.facebook.com/enavabharat ) पर भी हमारे साथ रूबरू रहेंगे। आइये जानते हैं श्री थोरात के बारे में।

बालासाहेब भाऊसाहेब थोरात महाराष्ट्र के उन कद्दावर नेताओं में से एक है जिनको किसी परिचय कि जरुरत नहीं है। देश सेवा और जनसेवा कि भावना के साथ ये पिछले कई वर्षों से महाराष्ट्र एवं यहाँ के लोगों की सेवा कर रहे हैं और इनकी आवाज़ उठा रहे हैं । श्री थोरात वर्तमान में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना द्वारा महा विकास अगाड़ी में उद्धव ठाकरे अन्य नेताओं के साथ राजस्व मंत्री के रूप में सम्म्हिलित हैं। अगर हम  बात करें इनकी पहचान की तो सभी को संगमनेर तालुका और अकोले तालुका में उनके अपने रचनात्मक कार्यों का पता ही है  है। जहाँ उन्होंने संगमनेर में सहकारी शिक्षण संस्थानों की स्थापना की है। वह सहकारिता आंदोलन में, मिल्क कोऑपरेटिव के संस्थापक और संगमनेर जिला और राज्य सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष के रूप में भी जाने जाते हैं।

बालासाहेब का राजनीतिक जीवन संगमनेर से शुरू होता है जहाँ से वे विधानसभा सीट से लड़े और शकुंतला खंडेराव होरात पर 10,159 मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 8 विधानसभा चुनाव भी जीते एवं सबसे बड़ी बात कि कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में वे किसी भी चुनाव में कभी नहीं हारे।वे पहले विलासराव देशमुख की सरकार में कृषि राज्य मंत्री थे। बाद में 2004 में उन्हें एनसीपी के अनिल देशमुख के साथ कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। वह महाराष्ट्र के उन चंद नेताओं में से एक थे जिन्होंने 15 साल के कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में मंत्री के रूप में काम किया। उन्होंने पृथ्वीराज चव्हाण के मंत्रिमंडल में कृषि, जल संरक्षण, रोजगार गारंटी योजना और स्कूल शिक्षा के अतिरिक्त प्रभार के रूप में कार्य किया। वह महाराष्ट्र के सहकारी आंदोलन में एक प्रसिद्ध और अग्रणी चेहरा हैं। उन्होंने कृषि मंत्री और राजस्व मंत्री रूप में भी  कार्य किया।

राजनीति में थोरात ने बहुत उथल पुथल देखे लेकिन कभी संघर्षों से डरे नहीं । वर्ष 2019 में श्री थोरात  को MPCC प्रमुख बनाया गया जब अशोक चव्हाण ने लोकसभा चुनावों में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए इस्तीफा दे दिया था । यह बालासाहेब के संघर्षो का ही नतीजा है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस ने  विधानसभा में 31 विधायकों से लेकर 44 विधायकों तक का सुधार किया और महाराष्ट्र की राजनीती की अग्रिम पंक्ति कांग्रेस फिर खड़ी हो सकी। 2019 की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद, कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना द्वारा महा विकास अगाड़ी के सरकार निर्माण में श्री बालासाहेब थोरात के राजनीतिक कद को और बड़ा किया है।

हालाँकि वे हमेशा से खुद को जमीन से जोड़े रखते है । अति विनम्र,लो-प्रोफाइल जीवन और राजनीति में अपनी स्वच्छ छवि के कारण श्री थोरात आज महाराष्ट्र कि अग्रिम पंक्ति के नेताओं में से एक  के तौर पर जाने जाते हैं। ऐसे ही महान छवि और विनम्रता के धनि श्री बालासाहेब थोरात नवभारत e-चर्चा के पटल और नवभारत फेसबुक पेज ( https://www.facebook.com/enavabharat ) पर शनिवार 30 मई को हमारे साथ रूबरू होंगे। तो जरुर आईयेगा और भूलियेगा नहीं नवभारत e-चर्चा पर, हमारी चर्चा हम सबके लिए।